महंगाई के खिलाफ लड़ाई लड़ रही सरकार और रिजर्व बैंक के लिए चुनौती और बढ़ गई है. पहले कुछ चुनिंदा दालों की महंगाई सरकार के लिए सिरदर्द बनी हुई थी, लेकिन अब अधिकतर दालों के दाम बढ़ गए हैं. जिस वजह से रिटेल महंगाई के और भड़कने की आशंका है. रिटेल महंगाई ज्यादा बढ़ी तो आम आदमी के साथ सरकार के साथ रिजर्व बैंक के लिए चुनौती और ज्यादा बढ़ जाएगी. बीते एक महीने के दौरान दालों की कीमतों में 14 फीसद तक बढ़ोतरी हुई है.
उपभोक्ता विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 1 अगस्त को दिल्ली में चने की दाल का भाव 72 रुपए था जो 1 सितंबर को बढ़कर 82 रुपए प्रति किलो हो गया है, इस दौरान दिल्ली में अरहर दाल का भाव 148 रुपए किलो से बढ़कर 162 रुपए किलो हो गया है. इस दौरान उड़द दाल का दाम 5 रुपए बढ़कर 132 रुपए तक पहुंचा है और मसूर दाल का दाम 4 रुपए प्रति किलो बढ़कर 91 रुपए हो गया है.
जुलाई के दौरान रिटेल महंगाई दर 7.44 फीसद दर्ज की गई है जो 15 महीने का ऊपरी स्तर है और रिजर्व बैंक के सहनीय स्तर 6 फीसद से बहुत ऊपर है. रिटेल महंगाई को इस स्तर तक पहुंचाने में दालों का अहम योगदान रहा है, जुलाई में सब्जियों और मसालों के बाद दालों की महंगाई दर ही सबसे ज्यादा रही है, दालों की महंगाई दर 13.27 फीसद थी. अब अगस्त के दौरान भी दालों की कीमतों में आई जोरदार तेजी की वजह से इनकी महंगाई दर में और तेज बढ़ोतरी की आशंका है, जिसका असर रिटेल महंगाई पर भी पड़ेगा.
इधर खरीफ दालों की खेती पिछड़ने और प्रमुख दलहन उत्पादक राज्यों में बरसात की कमी की वजह से खरीफ दालों का उत्पादन घटने की आशंका बढ़ गई है, जिस वजह से आने वाले दिनों में दालों की महंगाई में कमी की उम्मीद घटती जा रही है. 1 सितंबर तक देशभर में खरीफ दलहन का रकबा पिछले साल के मुकाबले करीब 11 लाख हेक्टेयर पिछड़ा हुआ दर्ज किया गया है. कुल खेती 119.09 लाख हेक्टेयर दर्ज की गई है, तीनों प्रमुख खरीफ दलहन, यानी अरहर, उड़द और मूंग की खेती पिछले साल के मुकाबले घटी है.