खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP में ज्यादा बढ़ोतरी पर नीति आयोग और वाणिज्य मंत्रालय की कुछ आपत्तियों के बावजूद सरकार ने फसलों के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की थी. अंग्रेजी समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस को RTI से मिली जानकारी से यह पता चला है. रिपोर्ट के मुताबिक नीति आयोग ने अपनी आपत्ति में कहा था कि फसलों के MSP में ज्यादा बढ़ोतरी की वजह से खाद्य महंगाई बढ़ेगी. वहीं वाणिज्य मंत्रालय ने कहा था कि ज्यादा बढ़ोतरी विश्व व्यापार संगठन की सब्सिडी लिमिट के दायरे में नहीं आएगी.
सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के मुताबिक कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों पर कृषि मंत्रालय के 20 अप्रैल के नोट के जवाब में वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग, नीति आयोग और वाणिज्य मंत्रालय ने क्रमशः 9 मई, 16 मई और 18 मई को पत्र लिखा था.
7 जून को 6-10 फीसद बढ़ी थी MSP
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने 7 जून को न्यूनतम समर्थन मूल्य में 6 फीसद से लेकर 10 फीसद तक बढ़ोतरी को मंजूरी दी थी. सरकार ने उस समय कहा था कि एमएसपी में की गई यह बढ़ोतरी बजट 2018-19 में एमएसपी को उत्पादन लागत के कम से कम डेढ़ गुना के स्तर पर तय करने के ऐलान के अनुरूप थी. एमएसपी में की गई बढ़ोतरी का मकसद किसानों को उचित पारिश्रमिक दिलाना था. नीति आयोग ने 16 मई को लिखे एक पत्र में कहा कि अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य में इतनी बढ़ोतरी की जाती है तो खाद्य महंगाई को 4-6 फीसद की निर्धारित सीमा में रखना बहुत मुश्किल होगा जो कि व्यापक आर्थिक स्थिरता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.