ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टैनली (Morgan Stanley) ने भारत को ‘ओवरवेट’ में अपग्रेड कर दिया है. इससे पहले मॉर्गन स्टैनली ने घटते वैल्युएशन प्रीमियम और लचीली इकोनॉमी के आधार पर 31 मार्च को भारत को अंडरवेट से ‘इक्वल वेट’ में अपग्रेड किया था. अब 4 महीने बाद इसे ‘ओवरवेट’ में अपग्रेड किया है यानी महज 4 महीने में ही इंडियन इकोनॉमी ने बड़ी छलांग लगाई है. ब्रोकरेज फर्म ने फाइनेंशियल, शेयरों के साथ-साथ भारत के इंडस्ट्रियल सेक्टर को भी ‘ओवरवेट’ में अपग्रेड कर दिया है. मॉर्गन स्टैनली की रेटिंग ने चीन को बड़ा झटका दिया है. इसमें चीन की रेटिंग को डाउनग्रेड करके ‘Equal Weight’ कर दिया गया है.
भारत की रेटिंग में जबर्दस्त तेजी
एक तरफ जहां दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी अमेरिका की रेटिंग नीचे की तरफ जा रही है. वहीं भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है. ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि भारत एक रिफॉर्म और मैक्रो-स्टेबिलिटी एजेंडा के साथ चल रहा है, जो एक मजबूत कैपेक्स और प्रॉफिट आउटलुक को दिखाता है.
चीन की रेटिंग डाउनग्रेड
मॉर्गन स्टैनली ने अपनी रिपोर्ट में चीन को नीचे कर दिया है. ब्रोकरेज फर्म का कहना है कि विकास को बढ़ावा देने और देश के प्रमुख निजी क्षेत्र को बढ़ाने के लिए चीनी सरकार ने वादे तो किए, लेकिन ये शेयरों में बढ़त बनाए रखने के लिए काफी नहीं हो सकते हैं. इतना ही नहीं बाजार का ध्यान भी देश की स्ट्रक्चरल चुनौतियों की तरफ है. चीन की सरकार के सामने गंभीर मुद्दों में बेरोजगारी भी शामिल है और इनके पास विस्तृत समाधान का अभाव है. एनालिस्ट्स का कहना है कि चीन इस समय संकट के दौर से गुजर रहा है. मॉर्गन स्टैनली ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आने वाले समय में भारत चीन को पीछे छोड़ता नजर आ रहा है. इतना ही नहीं ब्रोकरेज को उम्मीद है कि इस दशक के अंत में चीन की GDP ग्रोथ रेट, भारत के 6.5% की तुलना में करीब 3.9% रहेगी.
भारत के सामने क्या है चुनौती?
मॉर्गन स्टैनली ने भारतीय बाजार के लिए चुनौती के रूप में महंगाई और मॉनेटरी पॉलिसीज में अप्रत्याशित वृद्धि को शामिल किया है. अगर जब प्रोडक्टिविटी में सुधार नहीं होता है, तो ये भारत के लिए रिस्क हो सकता है. मॉर्गन स्टैनली ने अपने नोट में AI के चलते सर्विस एक्सपोर्ट और लेबर सेक्टर पर निगेटिव प्रभाव पड़ने की बात भी कही है.