मोबाइल फोन की कम बिक्री का असर हैंडसेट इन्डस्ट्री में काम कर रहे कर्मचारियों पर भी पड़ा है. आमतौर पर जहां हैंडसेट इंडस्ट्री में पिछले 2 साल से कर्मचारियों का 10 से 12 फीसद अप्रैजल हो रहा था. धीमी मांग के कारण इस साल सिर्फ 6-8 फीसद अप्रैजल ही हुआ है. इतना ही नहीं, कई कर्मचारियों को अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा है.
मोबाइल की कम बिक्री पिछला एक साल स्मार्टफोन की बिक्री के लिए कुछ खास नहीं रहा है. काउंटर प्वॉइंट की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल की जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान स्मार्टफोन की बिक्री में 19 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है. अन्य वर्षों की तुलना में साल की पहली तिमाही की यह गिरावट सबसे ज्यादा थी. जनवरी-मार्च तिमाही में भारत का स्मार्टफोन शिपमेंट लगभग 3.1 करोड़ यूनिट तक गिर गया था. गिरती बिक्री की वजह से भारत में स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों ने जनवरी से अप्रैल के बीच अपने उत्पादन में सालाना आधार पर 20 फीसदी की कटौती भी की थी.
सस्ते फोन की ब्रिक्री में गिरावट 30 हजार से कम कीमत वाले मोबाइल फोन की बिक्री में सबसे ज्यादा कमी आई. जबकि प्रीमियम और अल्ट्रा प्रीमियम फोन की कैटगरी में 60-66 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. मार्च तिमाही में एप्पल की बिक्री में सालाना आधार पर 50 फीसद की बढ़त देखी गई. समान तिमाही में 45 हजार से ज्यादा कीमत वाले सैमसंग के फोन की ब्रिक्री भी सालाना आधार पर 247 फीसद बढ़ी है. वहीं 20,000-30,000 रुपए की कीमत वाले मोबाइल फोन की शिपमेंट में 33 फीसद और 20,000 रुपए तक के सेगमेंट में 34 फीसद की गिरावट दर्ज की गई. 10,000 रुपए से कम कीमत वाले फोन की शिपमेंट में साल-दर-साल आधार पर 9 फीसद की गिरावट दर्ज की गई.
क्यों नहीं बिक रहे स्मार्टफोन स्मार्टफोन न बिकने की एक वजह ये है कि स्मार्टफोन की कीमतों में पिछले 2-3 साल के दौरान करीब-करीब 15 से 20 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. जिस स्मार्टफोन की कीमत कभी 8 हजार रुपए हुआ करती थी. अब उसकी कीमत 12 से 14 हजार रुपए हो गई है. कीमत बढ़ने से बाजार में सस्ते स्मार्टफोन्स की हिस्सेदारी घट रही है. साल 2018 में स्मार्टफोन बिक्री में इनकी हिस्सेदारी 36 फीसद थी. जो नवंबर 2022 में घटकर 12 फीसद रह गई..सस्ते स्मार्टफोन ही बाजार में वॉल्यूम सेल्स को प्रमोट करते थे क्योंकि यहां लोग तेजी से स्मार्टफोन बदलते थे. इसलिए एंट्री लेवल फोन की बिक्री घटने का सीधा असर टोटल सेल पर भी दिखा है.
स्मार्टफोन फोन यूजर्स को दूसरा झटका टेलिकॉम कंपनियों ने भी दिया है. नवंबर 2021 से भारत में मोबाइल दरें 20 से 21 फीसद बढ़ चुकी हैं. साल 2021 तक भारत में एंट्री लेवल प्लान 70 से 80 रुपए की शुरुआती कीमत में मिलता था. जो बढ़ते-बढ़ते साल की शुरुआत तक 150 रुपए से भी अधिक तक पहुंच गए हैं.
छंटनी का भी पड़ा असर इस साल इंक्रीमेंट में कमी होने के अलावा हैंडसेट इन्डस्ट्री में कर्मचारियों की संख्या भी घटी है. कुछ कर्मचारियों ने अपनी मर्जी से नौकरी छोड़ी है, जबकि कई कर्मचारियों की छंटनी की गई है. जनवरी-मई के दौरान कई कर्मचारियों ने अलग-अलग वजह से नौकरी छोड़ी थी. उन रिक्त पदों को अभी तक नहीं भरा गया. इसके अलावा कई कम्पनियों ने एडमिनिस्ट्रेटिव और मार्केटिंग से डिपार्टमेंट से भी लोगों को काम से निकाला है. इस वजह से हैंडसेट इन्डस्ट्री में छंटनी की दर 5-6 फीसद रही है, जिसका असर उत्पादन पर भी पड़ा है.
चीन का दबदबा भारत की स्मार्टफोन इन्डस्ट्री पर चीन का दबदबा है. चीनी फर्म बीते कुछ समय से भारतीय अथॉरिटी के साथ कानूनी लड़ाई लड़ रही है. इस वजह से कई कंपनियों ने अपने मार्केटिंग के खर्च को कम किया है. इसका असर नई लॉन्चिंग और नई हायरिंग पर भी दिख रहा है. कई कंपनियों ने हायरिंग घटा दी है.
सुधर रही है हालत हालांकि स्मार्टफोन इन्डस्ट्री धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है. अप्रैल-जून तिमाही में इन्डस्ट्री में ग्रोथ के संकेत मिले हैं. कैनालिस की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 की दूसरी तिमाही की बिक्री में सालाना आधार पर 1 फीसद की मामूली गिरावट दर्ज की गई है. हालांकि इस साल की पहली तिमाही के मुकाबले दूसरी तिमाही की सेल में 18 फीसद की ग्रोथ दर्ज की गई है.
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