अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों को लेकर जिस बात की संभावना जताई जा रही थी, बैंक ने वही किया है. फेडरल रिजर्व ने बुधवार रात को ब्याज दरों में 0.25 फीसद की बढ़ोतरी की है और इस बढ़ोतरी के बाद अमेरिका में ब्याज दर बढ़कर 5.5 फीसद हो गई है जो 22 साल का ऊपरी स्तर है. इससे पहले अमेरिका में ब्याज की दर इस स्तर पर 2001 में हुआ करती थी. अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने महंगाई का हवाला देते हुए यह भी कह दिया है कि आने वाले दिनों में वह फिर से ब्याज दर बढ़ा सकता है.
अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने के बाद अमेरिकी करेंसी डॉलर पर दबाव देखा जा रहा है जिस वजह से भारतीय करेंसी रुपया आज मजबूत हुआ है. गुरुवार सुबह डॉलर के मुकाबले रुपया 10 पैसे की तेजी के साथ 81.91 के स्तर पर खुला. अमेरिकी डॉलर में गिरावट की वजह से कई ग्लोबल कमोडिटीज की कीमतों में तेजी देखी जा रही है. गोल्ड का भाव 1982 डॉलर प्रति औंस के करीब पहुंच गया है और घरेलू वायदा बाजार MCX पर सोने की कीमतें 59500 रुपए प्रति 10 ग्राम के ऊपर पहुंच गई हैं.
डॉलर में नरमी की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में भी उछाल है, ब्रेंट क्रूड का भाव 84 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया है जो 3 महीने का ऊपरी स्तर है. कच्चे तेल की तेजी की वजह से देश में क्रूड ऑयल आयात पर खर्च और बढ़ेगा जिस वजह से पेट्रोल-डीजल के सस्ता होने की उम्मीद और घट गई है.
अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने के बाद भारत सहित दुनिया के दूसरे केंद्रीय बैंकों पर भी कर्ज महंगा करने का दबाव बढ़ेगा. भारत में रिटेल महंगाई दर पहले ही बढ़ने लगी है, जिस वजह से केंद्रीय बैंक RBI पर मौद्रिक नीति को और सख्त करने का दबाव है. ब्याज दरों पर फैसला लेने के लिए अगले महीने RBI की बैठक है, और अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या रिजर्व बैंक भी कर्ज महंगा करने के लिए ब्याज दर बढ़ाएगा? हालांकि रिजर्व बैंक ने अप्रैल और जून की बैठक में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. लेकिन अमेरिकी बैंक की तर्ज पर अगर RBI भी पॉलिसी दरों को बढ़ाता है तो उसकी वजह से कर्ज और महंगा हो जाएगा, हालांकि जमा पर ब्याज की दर बढ़ने की संभावना भी है.
यूएस में ब्याज दर बढ़ने के बाद इस बात की संभावना भी बढ़ गई है कि भारत में लंबे समय तक कर्ज सस्ता नहीं होगा. स्वैप रेट से पहले ही इस तरह के संकेत मिल रहे हैं कि भारत में कर्ज सस्ता होने की शुरुआत अगले साल अगस्त से होगी. डीसीबी बैंक ने भी अपने अनुमान में कहा है कि भारत में अगले साल मार्च तक पॉलिसी दरों में कटौती की उम्मीद नहीं है.
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