इन दिनों बहुत से भारतीय देश छोड़कर विदेश में बस रहे हैं. इस साल जून तक करीब 87,026 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी. ये बात विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में कही. आंकड़ों के अनुसार साल 2011 से अब तक करीब 17.50 लाख से अधिक लोगों ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ी है.
देश छोड़ने की वजह
विदेश मंत्रालय के अनुसार पिछले दो दशकों में विदेशों में काम के चलते भारतीय नागरिक तेजी से विदेश जा रहे हैं. इसके अलावा कई ने व्यक्तिगत सुविधा के कारणों से विदेशी नागरिकता लेने का विकल्प चुना है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि विदेशों में मौजूद भारतीय समुदाय देश के लिए एक संपत्ति की तरह है और सरकार प्रवासी भारतीयों के साथ अपने जुड़ाव में बदलाव लेकर आई है. एक सफल, समृद्ध और प्रभावशाली प्रवासी भारत के लिए फायदेमंद है और हमारा मकसद राष्ट्रीय लाभ के लिए इसकी प्रतिष्ठा का उपयोग करना है.
किस साल में कितने लोगों ने छोड़ी नागरिकता?
विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार साल 2022 में 2,25,620, 2021 में 1,63,370, 2020 में 85,256, 2019 में 1,44,017, 2018 में 1,34,561, 2017 में 1,33,049, 1,41,603 भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है. वहीं साल 2016 में देश छोड़ने वाले लोगों की संख्या 1,31,489, 2015 में 1,29,328, 2013 में 1,31,405, 2012 में 1,20,923 और 2011 में 1,22,819 रही.
किन देशों की ले रहें नागरिकता?
बड़ी संख्या में भारतीयों ने अमेरिका की नागरिकता चुनी. भारतीयों का सबसे बड़ा समूह अमेरिका में रहता है, यहां करीब 40 लाख से अधिक भारतीय हैं. इसके अलावा लोगों ने इटली (5,986), न्यूजीलैंड (2,643), सिंगापुर (2,516), जर्मनी (2,381), नीदरलैंड (2,187), स्वीडन (1,841) और स्पेन (1,595) की नागरिकता लेनी पसंद की. संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 में अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों के शीर्ष 20 जगहों में से तीन को छोड़कर सभी उच्च-आय या उच्च-मध्यम-आय वाले देश थे.