इनदिनों विदेश में पढ़ने का क्रेज जोरों पर है. दिलचस्प बात यह है कि महिला आवेदकों की संख्या में तेजी आई है. लोन प्रोवाइडर्स और शिक्षा सलाहकारों के डेटा से पता चलता है कि विदेशी पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन करने वालों और पढ़ाई के लिए वित्तीय सहायता चाहने वाले आवेदकों में लगभग आधी हिस्सेदारी महिलाओं की है. इनमें न सिर्फ मेट्रो शहरों बल्कि छोटे शहरों की छात्राएं भी शामिल हैं.
शिक्षा सलाहकारों की ओर से जुटाए आंकड़ों में पाया गया कि वित्त वर्ष 2021 में महिला छात्रों के आवेदन की संख्या 20-30% थी, जो वित्त वर्ष 2024 में बढ़कर करीब 40-45% हो गई है. साथ ही फाइनेंसिंग कंपनियों ने एजुकेशना लोन में भी महिला उम्मीदवारों में लगातार वृद्धि देखी है. वित्त वर्ष 2021 में कुल ऋण मांग में महिलाओं की हिस्सेदारी 25-30% थी, वहीं वित्त वर्ष 2024 में यह बढ़कर 35-45% हो गई. रिसर्च में यह भी पाया गया कि बड़ी संख्या में भारतीय महिलाएं अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अन्य जगहों पर उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहती हैं.
एजुकेशन लोन में बढ़ी हिस्सेदारी
फ्लाई फाइनेंस का संचालन करने वाले लीवरेज बिज के संस्थापक और सीईओ अक्षय चतुर्वेदी ने कहा कि सितंबर 2022 में कंपनी में ऋण के लिए आवेदन करने वाले आवेदकों में से लगभग 31% आवेदक महिलाएं थीं. सितंबर 2023 में इसमें 40% तक इजाफा हुआ. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस वर्ष आवेदकों में महिला हिस्सेदारी और बढ़ेगी.
विदेश में अध्ययन सलाहकार कॉलेजिफ़ाई के सह-संस्थापक रोहन गनेरीवाला ने कहा कि हाल के वर्षों में विदेशों में पढ़ने वालों की संख्या में एक महत्वपूर्ण बदलाव देखा गया है. महिला आवेदकों में कुल 30-35% शामिल हैं. हालांकि पिछले दो-तीन वर्षों में यह आंकड़ा बढ़कर 40-45% हो गया है. यह उछाल महानगरीय क्षेत्रों और छोटे शहरों दोनों की महिलाओं के बीच अंतरराष्ट्रीय शिक्षा प्राप्त करने में बढ़ती रुचि को दर्शाता है.