सरकार ने 2030 तक देश में इलेक्ट्रिन वाहनों (EV) को लेकर जो लक्ष्य रखा है, वह मौजूदा हालात में पूरा हो पाना दूर की कौड़ी लग रहा है. संसद में सरकार ने जो आंकड़े दिए हैं, उन्हें देखकर तो यही कहा जा सकता है. सरकार से पूछा गया था कि देश में कुल पंजीकृत गाड़ियों में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की रेश्यो क्या है? इसके जवाब में सरकार के आंकड़े बताते हैं कि कुल वाहनों में 1 फीसद वाहन भी इलेक्ट्रिक नहीं हैं.
ईवी का लक्ष्य
सरकार ने 2030 तक कुल वाहनों की बिक्री में इलेक्ट्रिक पैंसेजर व्हीकल (प्राइवेट कार) के लिए 30%, टू-व्हीलर एवं थ्री-व्हीलर (दोपहिया एवं तीन पहिया वाहन) के लिए 80% और कमर्शियल व्हीकल के लिए 70% का लक्ष्य रखा है. लेकिन 14 जुलाई तक देश में पंजीकृत कुल वाहनों में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी सिर्फ 0.81% दर्ज की गई है. 14 जुलाई तक देश में कुल रिजस्टर्ड वाहनों की संख्या 34 करोड़ है जिसमें इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी सिर्फ 27.44 लाख है. ऐसे में सवाल उठता है कि 7 साल में किस तरह ये हिस्सेदारी 0.81% से बढ़ाकर 30% होगी?
ईवी अडोप्शन में कौन से राज्य आगे
संसद में दिए सरकार के आंकड़ों के मुताबिक इस समय राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पंजीकृत वाहनों में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है, लेकिन दिल्ली में भी कुल वाहनों में सिर्फ 2.71 फीसद गाड़ियां ही इलेक्ट्रिक हैं. इसके बाद असम (2.16 फीसद) और त्रिपुरा (2.02 फीसद) आते हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में पूर्वोत्तर के राज्य सबसे पीछे हैं, अरुणाचल प्रदेश (0.01%), नगालैंड (0.01%) एवं सिक्किम (0.02%) देश में सबसे नीचे आते हैं.
ईवी को बढ़ावा देने के लिए फेम-2
सरकार ने संसद में ये भी बताया कि उसने देश में ईवी को बढ़ावा देने के लिए 2015 में फेम योजना (FAME India) पेश की. योजना के तहत ईवी निर्माताओं को सब्सिडी दी जाती है. इस समय फेम इंडिया स्कीम का फेज-2 जारी है. सरकार ने बजट में 10,000 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ 1 अप्रैल, 2019 को 5 साल के लिए फेज-2 का कार्यान्वयन शुरू किया था.
क्या कहते हैं बाकी रिपोर्ट?
इससे पहले इस साल मार्च में आई एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) की एक रिपोर्ट में भी ऐसा ही कुछ आंकड़ा सामने आया था. रिपोर्ट के मुताबिक कैलेंडर ईयर 2022 में भारत में बिके कुल वाहनों में ईवी की हिस्सेदारी महज 1.1% थी. इसके उलट पूरे एशिया का औसत 17.3% था. चीन में ये आंकड़ा 27.1%, दक्षिण कोरिया में 10.3% और जापान में 2.2% था.
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