भारत में हवाई किराए में भारी बढ़ोतरी हो रही है.पश्चिमी एशिया और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तो भारत घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ान के किराए में बढ़ोतरी करने के मामले में सबसे ऊपर है. भारत में हवाई किराया 41 फीसदी से बढ़ा है. एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल एशिया-पैसिफिक (ACI) के अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है. 132 हवाई अड्डे के सदस्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले एसीआई ने फ्लेयर एविएशन कंसल्टिंग के सहयोग से इस क्षेत्र में हवाई किराए बढ़ाने वाले देशों की रैंकिंग जारी की है. ACI कुल मिलाकर 47 देशों में 632 हवाई अड्डों का संचालन करता है.
कहां कितना बढ़ा किराया? अध्ययन से पता चलता है कि इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय मार्गों पर किराया 50 फ़ीसदी तक की तेजी से बढ़ा है लेकिन घरेलू क्षेत्रों के लिए बढ़ोतरी लगभग 10 फ़ीसदी रही. हालांकि घरेलू किराए में 43 फ़ीसदी से ज़्यादा की बढ़ोतरी के साथ भारत एक अपवाद रहा. वहीं भारत में अंतरराष्ट्रीय हवाई किराए में औसत 28 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है.
एसीआई और फ्लेयर एविएशन कंसल्टिंग के इस सर्वे में 2019 की चौथी तिमाही और 2022 की चौथी तिमाही के बीच पश्चिम एशिया और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों में 36,000 मार्गों पर हवाई किराए की तुलना की गई है. सर्वे में कहा गया है कि हवाई किराए में वृद्धि का रुझान 2023 की पहली तिमाही में भी जारी रहा. अध्ययन में ये भी कहा गया है कि क्षेत्र में एयरलाइंस में कम प्रतिस्पर्धा है और कमज़ोर मांग का माहौल है जिसका आसानी से विमानन कंपनियां फ़ायदा उठा रहीं हैं.
और किन देशों में बढ़ा किराया? किराया बढ़ाने के मामले में भारत के बाद इस सूची में दूसरे और तीसरे स्थान पर क्रमश: 34 फ़ीसदी की वृद्धि के साथ संयुक्त अरब अमीरात और 30 फ़ीसदी के साथ सिंगापुर हैं. अन्य देश जहां किराया बढ़ा है उनमें ऑस्ट्रेलिया (23%), कतर (17%), सऊदी अरब (6.6%), दक्षिण कोरिया (4.8%), इंडोनेशिया (1.6%) और चीन (0.6%) शामिल हैं. वहीं दसवें स्थान पर इसमें जापान है जहां विमान किराए में 3.7 फ़ीसदी की कमी आई है.
संसदीय समिति का सुझाव मार्च 2023 में एक संसदीय पैनल ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय से हवाई किराए के ऊपरी और निचले स्तर को सीमित करने का सुझाव दिया थी. साथ ही पैनल ने यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था की आड़ में एयरलाइंस कंपनियां अपने लाभ के लिए शोषण करने वाले मूल्य निर्धारण तंत्र को न अपनाएं. दरअसल भारत में हवाई किरायों को सरकार रेगुलेट नहीं करती है. समिति ने सिफारिश की है कि ऊपरी और निचले कीमतों की कैपिंग ‘लुभावने मूल्य निर्धारण’ या कीमतों में अचानक होने वाली बढ़ोतरी को रोकने के लिए मंत्रालय के पास एक सिस्टम होना चाहिए.
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