कभी भारत, यूरोप और अमेरिकी बाजार के लिए स्टील के सबसे बड़े सप्लायर्स में गिना जाता था, लेकिन अभी हालात ऐसे हो गए हैं कि भारत स्टील के निर्यात से ज्यादा आयात कर रहा है. आइए जानते हैं किन कारणों से ऐसा हाल हो गया है. कुछ महीने पहले तक सरकार के लिए डॉलर बचाने वाला बड़ा जरिया स्टील अब उसी डॉलर को खर्च करने का कारण बन गया है. वैश्विक सुस्ती और सरकार की पाबंदियों की वजह से देश से स्टील निर्यात में गिरावट आई है. घरेलू मांग बढ़ने की वजह से स्टील के मामले में भारत अब नेट इंपोर्टर बन चुका है.
स्टील आयात लगभग 65 फीसद ज्यादा पहुंचा
बीते अक्टूबर के दौरान देश से स्टील निर्यात के मुकाबले आयात लगभग 65 फीसद ज्यादा दर्ज किया गया है. स्टील मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि अक्टूबर के दौरान देश में 5.93 लाख टन स्टील का आयात हुआ है, जो करीब 2 वर्षों में सबसे ज्यादा मासिक आयात है. निर्यात की बात करें तो अक्टूबर में 3.6 लाख टन स्टील एक्सपोर्ट हुआ है.
इस कारण घटा भारत से स्टील निर्यात
घरेलू स्तर पर महंगाई को काबू करने के लिए इसी साल मई में सरकार ने स्टील निर्यात को लेकर कुछ पाबंदियां लगाईं थीं. आयरन और कुछ स्टील उत्पादों के निर्यात पर टैक्स लागू किया था. सरकार के इस प्रयास से घरेलू स्तर पर स्टील की कीमतों में तो कमी आ गई, लेकिन स्टील के निर्यात पर चोट पहुंची. ऊपर से आर्थिक सुस्ती की वजह से ग्लोबल मार्केट में भी स्टील की मांग घट गई. इसकी वजह से भी भारत से स्टील निर्यात घटा है.
भारतीय बाजार में स्टील मिल रहा महंगा
अब हालात ऐसे हो गए हैं कि भारतीय बाजार में स्टील महंगा मिल रहा है. ग्लोबल मार्केट में कीमतें टूटी हैं. इसी वजह से देश में स्टील का इंपोर्ट भी बढ़ रहा है. फिलहाल घरेलू मार्केट में बेंचमार्क हॉट रोल्ड क्वॉइल स्टील का भाव प्रति टन 55 हजार से 57 हजार रुपए के करीब है. जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें घटकर 50 हजार रुपए तक आ गई हैं.
स्टील कंपनियों की कमाई में आई भारी गिरावट
घरेलू कीमतें ज्यादा होने और निर्यात में आई गिरावट की वजह से देश में स्टील उत्पादन करने वाली कंपनियों के मुनाफों पर चोट पहुंची है. रिपोर्ट्स की मानें तो हाल के दिनों में देश की स्टील कंपनियों की कमाई में 75-90 फीसद की गिरावट आई है. कमाई में आई इस कमी के बाद मांग उठ रही है कि स्टील के निर्यात पर लगी पाबंदियों को हटाया जाना चाहिए. हालांकि निर्यात पर लगी पाबंदियों को हटाए जाने का लाभ भी तभी होगा, जब विदेशी बाजार से भारतीय स्टील के लिए मांग निकलेगी.
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