मानसून देश के सभी राज्यों में पहुंच चुका है. पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों को छोड़ बाकी देश के हर हिस्से में मानसून की दस्तक हो चुकी है. पिछले हफ्ते तक देशभर में बरसात की जो कमी देखी जा रही थी वह भी अब काफी हद तक दूर हो गई है और 27 जून तक कुल कमी 19 फीसद ही बची है. लेकिन मानसून की इस रफ्तार के बावजूद देश के कई हिस्से ऐसे हैं जहां पर नाम के लिए मानसून तो पहुंचा है, लेकिन बरसात की कमी बहुत ज्यादा है.
खासकर पूर्वी और दक्षिण-पश्चिम भारत के ज्यादातर हिस्सों में बरसात की भारी कमी है. बिहार को देखें तो वहां पर मानसून की अबतक की बरसात में 78 फीसद कमी है, कुछ ऐसा ही हाल झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल का भी है. झारखंड में बारिश की कमी 56 फीसद है, पूर्वी उत्तर प्रदेश में 59 फीसद और गांगीय पश्चिम बंगाल में यह कमी 53 फीसद है. महाराष्ट्र के कई हिस्सों में भी बरसात की भारी कमी देखी जा रही है, 27 जून तक मराठवाड़ा में 80 फीसद कम बरसात हुई है और मध्य महाराष्ट्र में 70 फीसद कम बरसात रिकॉर्ड की गई है. विदर्भ, तेलंगाना, तटीय कर्नाटक और केरल में बरसात की कमी 50 फीसद से ज्यादा है.
कितना हुआ सुधार?
जिन सब डिविजन में ज्यादा बरसात हो रही है उनमें पूर्वी और पश्चिमी राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और गुजरात का सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र शामिल है. इन सभी सब डिविजन में भारी बरसात की वजह से देशभर में कुल बरसात के औसत में सुधार हुआ है जिस वजह से देश में 27 जून तक बरसात की कमी का आंकड़ा घटकर 19 फीसद बचा है.
इस साल मानसून के आगे बढ़ने के ट्रेंड में बड़ा बदलाव देखने को मिला है. 62 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ है जब मानसून एक साथ दिल्ली और मुंबई पहुंचा हो. 23 अप्रैल से दक्षिण पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने की गति ने जोर पकड़ा है.