क्या किसान के नाम पर देश में कोई और कर्ज ले रहा है? इस सवाल के उठने की बहुत बड़ी वजह सामने आई है. सोमवार को लोकसभा में सांसद हनुमान बेनीवाल ने सरकार से कुल आउटस्टैंडिंग कृषि कर्ज और कर्ज लेने वाले खातों का ब्यौरा मांगा. जवाब में सरकार ने जो आंकड़े रखे वे बहुत चौंकाने वाले थे. सरकार के आंकड़े देखकर लग रहा है कि देश में जितने किसान परिवार हैं, उनसे कहीं ज्यादा कृषि लोन के खाते हैं. कुछ राज्य तो ऐसे हैं जिनकी कुल जनसंख्या को देखें और वहां पर कृषि लोने के खातों को देखें तो दाल में काला नजर आता है.
देश में तमिलनाडु ऐसा राज्य है जिसकी जनसंख्या लगभग 7.66 करोड़ है और सरकार के आंकड़े बताते हैं कि तमिलनाडु में इस साल 30 जून तक 2.79 करोड़ से ज्यादा कृषि लोन खाते दर्ज किए गए हैं, जिनमें 2.44 करोड़ खाते मुख्य बैंकों में हैं, 17.07 लाख सहकारी बैंकों में और 17.89 लाख से ज्यादा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में हैं. यानी तमिलनाडु के एक तिहाई से ज्यादा लोगों ने बैंकों से कर्ज के लिए कृषि लोन खाता खुलवाया है. इस साल जून अंत तक तमिलनाडु पर कुल आउटस्टैंडिंग कृषि कर्ज का आंकड़ा 3.47 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है.
इस मामले में आंध्र प्रदेश दूसरे स्थान पर है, आंध्र प्रदेश की कुल जनसंख्या 5.28 करोड़ है और वहां पर कृषि लोन के लिए खुले खातों का आंकड़ा 1.40 करोड़ है, आंध्र प्रदेश में कुल आउटस्टैंडिंग कृषि लोन 2.43 लाख करोड़ है. तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के अलावा जिन राज्यों में ज्यादा कृषि लोने खाते हैं, उनमें उत्तर प्रदेश (1.51 करोड़), कर्नाटक (1.35 करोड़), महाराष्ट्र 1.01 करोड़, राजस्थान (99.97 लाख) और पश्चिम बंगाल (75.38 लाख) है.
कई और राज्य हैं जहां पर किसानों के कृषि लोन आंकड़े चौंकाने वाले हैं. दिल्ली में भी 4.62 लाख कृषि लोन खाते खुले हैं और उनके तहत कुल आउटस्टैंडिंग कृषि लोन 15,716 करोड़ रुपए है. केरल में 73.77 लाख कृषि लोन खाते हैं और उनके तहत कुल 1.09 लाख करोड़ रुपए का आउटस्टैंडिंग लोन है.
सरकार के आंकड़े बताते हैं कि इस साल जून तक देश में कुल 15.53 करोड़ कृषि लोने के खाते हैं और 21 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा कर्ज बंटा हुआ है, यानी हर किसान पर औसतन 1.35 लाख से ज्यादा कर्ज है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधी के तहत जब सभी किसानों को शामिल किया गया था तो आंकड़ा 11.28 करोड़ था. इन आंकड़ों से लगता है कि कृषि लोन के लिए देश में ज्यादा खाते खुले हैं जबकि किसानों की संख्या कम है. ऐसी भी आशंका है कि कई लोग कृषि लोन खाते खुलवाकर कर्ज ले रहे हैं और उस कर्ज का इस्तेमाल गैर कृषि कार्यों के लिए कर रहे हैं.
देश में जितने भी कर्ज दिए जाते हैं उनमें कृषि लोन की दर सबसे कम है, सामान्य तौर पर 7 फीसद सालाना के ब्याज पर कृषि लोन दिया जाता है, लेकिन कर्ज को अगर एक साल पूरा होने से पहले लौटा दिया जाए तो ब्याज पर 3 फीसद डिस्काउंट मिलता है, यानी सिर्फ 4 फीसद सालाना दर पर ही कर्ज की वापसी हो जाती है.
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