सरकार भारत थोक महंगाई के निर्धारण को लेकर थोक मूल्य सूचकांक की जगह उत्पादक कीमत सूचकांक (पीपीआई) अपनाने की योजना बना रहा है. जी-20 देश पीपीआई का ही अनुपालन करते हैं. अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (NSC) पीपीआई शुरू करने की रूपरेखा पर कार्यसमूह की रिपोर्ट की जांच कर रहा है और उनकी सिफारिशों का इंतजार है. उन्होंने कहा कि यह सांख्यिकी आयोग के पास है, इसीलिए हम आयोग की सिफारिश का इंतजार करेंगे.
इसपर भविष्य की योजना के बारे में पूछे जाने पर, सरकारी अधिकारी ने कहा कि शुरुआत में, हम संभवत: दोनों (थोक मूल्य सूचकांक और उत्पादक कीमत सूचकांक) का उपयोग करेंगे. कुछ साल बाद, हम डब्ल्यूपीआई को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर सकते हैं. क्योंकि हम जी-20 में शामिल कुछ देशों में से एक हैं, जिसमें अभी भी थोक कीमत सूचकांक चलता है. चीन सहित अन्य सभी पीपीआई का उपयोग करते हैं. पीपीआई पर पिछले कई साल से चर्चा हो रही है. इसपर आगे बढ़ने के लिए कार्यप्रणाली और आंकड़ों की आवश्यकताओं को निर्धारित करने को लेकर कुछ साल पहले एक कार्यसमूह का गठन किया गया था.
सरकार ने 2019 में थोक मूल्य सूचकांक की वर्तमान श्रृंखला के संशोधन के लिए एक कार्यसमूह का गठन किया, जिसका फिलहाल आधार वर्ष 2011-12 है. समूह के सामने कार्य थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के लिए एक नए आधार वर्ष का सुझाव देना और उन वस्तुओं को जोड़ने तथा हटाने का सुझाव देना था जिनकी कीमतों पर सूचकांक निकालने के लिए नजर रखी जाती है. कार्यसमूह को डब्ल्यूपीआई से उत्पादक मूल्य सूचकांक की ओर बढ़ने के लिए रूपरेखा के बारे में बताने को कहा गया है.
पीपीआई विश्व स्तर पर वस्तुओं और सेवाओं दोनों के मूल्यों पर नजर रखता है. अधिकारी ने कहा कि शुरुआत में भारत में पीपीआई में केवल वस्तुएं शामिल होंगी. थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के तहत आधार वर्ष को 2011-12 से 2017-18 संशोधित करने पर भी काम जारी है. थोक मुद्रास्फीति की गणना के लिए आधार वर्ष को संशोधित कर 2017-18 करने से देश में मूल्य स्थिति की सही तस्वीर पेश करने में मदद मिलेगी.
Published - December 12, 2023, 01:11 IST
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।