केंद्रीय पूल में अनाज का स्टॉक 6 साल के निचले स्तर पहुंच गया है, जिस वजह से सरकार के लिए आने वाले दिनों में राशन की सप्लाई को लेकर चुनौती बढ़ सकती है. भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई के आंकड़े बताते हैं कि पहली अगस्त तक केंद्रीय पूल में गेहूं और चावल का कुल स्टॉक 523.35 लाख टन दर्ज किया गया है जो 2017 के बाद अगस्त की शुरुआत का सबसे कम स्टाक है. 2017 में पहली अगस्त को केंद्रीय पूल में 499.77 लाख टन गेहूं-चावल का स्टॉक दर्ज किया गया था. पिछले साल की तुलना में इस साल अगस्त की शुरुआत में स्टॉक करीब 22 लाख टन कम है. पिछले साल पहली अगस्त को केंद्रीय पूल में 545.97 लाख टन स्टॉक था.
2017 में कितना था स्टॉक? एफसीआई के आंकड़ों के मुताबिक पहली अगस्त तक एफसीआई के पास चावल का स्टॉक 242.96 लाख टन और गेहूं का स्टॉक 280.39 लाख टन है. वहीं अगस्त 2017 में चावल का स्टॉक 198.58 लाख टन और गेहूं का स्टॉक 300.59 लाख टन था. पिछले 6 साल में अगस्त महीने में अनाज का सबसे ज्यादा स्टॉक 2021 में दर्ज किया गया था. उस दौरान अनाज का स्टॉक 855.8 लाख टन रहा था, जिसमें चावल और गेहूं की हिस्सेदारी क्रमश: 291.08 लाख टन और 564.80 लाख टन थी.
‘स्टॉक में कमी चिंताजनक नहीं’ क्रिसिल की प्रमुख अर्थशास्त्री दीप्ति देशपांडे के मुताबिक अनाज के स्टॉक में कमी खाद्य सुरक्षा के दृष्टिकोण से चिंताजनक नहीं है क्योंकि स्टॉक अभी भी जरूरी मानदंडों से ज्यादा है. हालांकि इस साल उत्पादन पर असर पड़ सकता है जिससे कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका है, लेकिन घरेलू सप्लाई बढ़ाने को लेकर सरकार के हस्तक्षेप से कीमतों में नरमी आ सकती है. उन्होंने कहा कि भारत के पास ऐतिहासिक रूप से आवश्यक मानदंडों से ज्यादा अनाज का स्टॉक है, इसलिए चिंता की बात नहीं है.
धान का रकबा बढ़ा सरकार ने खरीफ मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए 521 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य रखा है, जबकि पिछले साल 495 लाख टन चावल खरीद का लक्ष्य रखा गया था. सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 262 लाख टन ही गेहूं खरीदा है, जो कि तय किए गए लक्ष्य 340 लाख टन से काफी कम है. बता दें कि खाद्य मंत्रालय ने जून में 2008 के बाद पहली बार गेहूं पर स्टॉक लिमिट लगाने का फैसला किया था. इसके अलावा मई 2022 में गेहूं के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 18 अगस्त तक देशभर में धान की बुआई 4 फीसद से ज्यादा बढ़कर 360.79 लाख हेक्टेयर दर्ज की गई है, जबकि पिछले साल इस दौरान 345.79 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की गई थी. धान की नई फसल की कटाई अक्टूबर के बाद से शुरू होने की संभावना है. जुलाई में खाद्य महंगाई दर 11.51 फीसद दर्ज की गई थी, जबकि जून में यह आंकड़ा 4.49 फीसद था. खाद्य महंगाई दर में बढ़ोतरी की वजह से जुलाई में रिटेल महंगाई बढ़कर 15 महीने के ऊपरी स्तर 7.44 फीसद पर पहुंच गई थी.
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