रबी सीजन में सरकार गेहूं खरीद के लक्ष्य से सरकार चूक हैं. इस साल सरकार ने 341 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा था लेकिन अभी तक यह आंकड़ा 261 लाख टन पर ही पहुंच पाया है. किसानों से गेहूं की खरीद का लक्ष्य भले ही इस साल पूरा होता नजर नहीं आ रहा लेकिन सरकार ने पर्याप्त स्टॉक जमा कर लिया है. सरकार ने अब तक जितनी खरीद हुई है उसमें अगर पुराना स्टॉक मिला लिया जाए तो उसके पास इतना गेहूं इकट्ठा जरूर हो गया है जिससे राशन योजनाओं की भरपाई हो जाएगी. साथ ही बफर के लिए स्टॉक बचा रहेगा. कुल मिलाकर सरकार के पास इतना स्टॉक जमा हो गया है जिससे जरूरत पड़ने पर वह खुले बाजार में भी गेहूं बेच सकेगी.
कितना है स्टॉक? पहली अप्रैल तक केंद्रीय पूल में 83.45 लाख टन गेहूं का स्टॉक था. उसके बाद इस साल अब तक 261 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है और खरीद का कुल आंकड़ा 265 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद है. यानी सरकार के पास कुल स्टॉक 348 लाख टन के पार हो जाएगा. इसमें सरकारी योजनाओं के लिए अगले साल मार्च अंत तक करीब 184 लाख टन गेहूं की जरूरत होगी. इस तरह अगले साल पहली अप्रैल तक बफर में 75 लाख टन गेहूं का स्टॉक होना भी जरूरी है लेकिन इस जरूरत के बाद भी सरकार के पास लगभग 89 लाख टन गेहूं बच जाएगा. जिसे जरूरत पड़ने पर सरकार खुले बाजार में जारी कर सकती है.
क्या हैं आसार? अगर इस साल सरकार के पूरे फूड बफर स्टॉक को देखें तो गेहूं का बफर स्टॉक पिछले साल की तुलना में बेहतर है. सरकार ने पिछले साल जो खरीद की थी इस साल का आंकड़ा भी बेहतर है. हालांकि सरकार ने खरीद का लक्ष्य काफी बड़ा रखा है. इस वजह से वह पूरा नहीं हो पा रहा है. इसी तरह चावल का स्टॉक भी पर्याप्त है लेकिन अनाज की महंगाई में जो तेजी की धारणा बन रही है वह कमजोर होती नहीं दिख रही है. खरीफ के मौसम में सरकार के पास अगर बेहतर खरीद आती है तो महंगाई में कुछ कमी देखी जा सकता है. लेकिन अलनीनो और सूखा लेकर तमाम तरह के सवाल हैं. इस बार अप्रैल में गेहूं की नई आवक शुरू हुई तो किसानों ने सरकारी केंद्रों के बजाय व्यापारियों को ऊंचे दामों पर बेचा. कमोबेश यही स्थिति चावल की है. यह हालात तब हैं जब गेहूं और चावल के निर्यात की संभावनाएं बहुत ही कम हैं.
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