Go First Airline से फंड रिकवरी बैंकों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है. इसके लिए Go First की बोली लगाने के सिवाय बैंकों के पास कोई रास्ता नहीं बचा है. ऐसे में समाधान प्रक्रिया के तहत बैंक Go First से अपना पैसा वसूलने में जुट गए हैं. बैंक, फंड की ज्यादा से ज्यादा रिकवरी के लिए बोली लगाने वालों से अपने प्रस्तावों में सुधार करने के लिए कह सकते हैं.
Go First के अनुमान के हिसाब से कम रुपयों की बोली लगती है तो कर्ज देने वाले लिक्विडेशन का विकल्प चुन सकते हैं. इसके तहत लेनदार Go First की एसेट को ओपन मार्केट में बेचकर रिकवरी कर सकते हैं. बैंकों के लिए बड़ा झटका ये कि Go First Airline के लिए शुक्रवार को महज दो बोलियां खोली गईं. अब इस बात की जांच होगी कि क्या ये बोलियां दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC) के नियमों के तहत हुई या नहीं.
Go First ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा से सबसे ज्यादा कर्ज ले रखा है. रिजॉल्यूशनल प्रोफेशनल (RP) शैलेंद्र अजमेरा ने 7,040 करोड़ रुपए के दावों को स्वीकार किया है. जिसमें से 4,257 करोड़ रुपए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले लेनदारों के हैं. कुल बोली रकम का सिर्फ एक छोटा-सा हिस्सा अपफ्रंट है. और बाकी राशि विमान, स्लॉट और द्विपक्षीय अधिकारों के रीटेंशन के साथ अमेरिकी इंजन निर्माता प्रैट एंड व्हिटनी के खिलाफ मुआवजे पर स्पष्टता जैसे कारकों पर निर्भर है.
Go First के लिए किसने लगाई बोली?
Go First के लिए लिए बोली लगाने वालों में सबसे आगे हैं, SpiceJet के मालिक अजय सिंह और ऑनलाइन ट्रैवल फर्म Ease My Trip के सह-मालिक निशांत पिट्टी. दोनों ने मिलकर कर्ज में डूबी एयरलाइन के लिए 600 करोड़ रुपए की बोली लगाई है. बोली लगाने वालों में दूसरे नंबर पर हैं, Skyone के जयदीप मीरचंदानी. इनके पास Zoom Air में सबसे बड़ी हिस्सेदारी है. सूत्रों के मुताबिक दोनों बोलियां खोली गई हैं. लेकिन, Go First को कर्ज देने वालों ने अब तक कोई फाइनल डील नहीं की है. इसके पीछे बड़ी वजह ये बताई जा रही है कि दोनों बोली लगाने वालों ने मामूली-सा एडवांस पेमेंट किया है. ऐसे में Go First के कर्ज वसूलने वाले बैंक, बोली लगाने वालों से बात करेंगे और उनसे रकम बढ़ाने के लिए कह सकते हैं. सही ऑफर न मिलने पर बैंक दूसरा विकल्प चुन सकते हैं.
Go First के लिए क्यों कम लगी बोली?
Go First एक दिवालिया कंपनी है. कंपनी के बारे में अधिक जानकारी देने वाले कर्मचारी तक नही थे. यही वजह है कि कोई इस एयरलाइन पर बड़ी बोली लगाने को तैयार नहीं. पिछले साल अक्टूबर में Go First के लिए पहली बोली लगी थी. तब नवीन जिंदल ने EoI के जरिए Go First एयरलाइन के लिए बोली लगाई थी. लेकिन, ये डील फाइनल न हो सकी. पिछले साल 3 मई को Wadia Group ने Go First को दिवालिया घोषित करने की एप्लीकेशन NCLT की मुंबई बेंच में जमा करवाई थी. इस एप्लीकेशन में प्रैट एंड व्हिटनी से उड़ान योग्य इंजनों की सोर्सिंग में लंबी देरी के फैसले को जिम्मेदार ठहराया था.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।