संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की ओर से हाल ही में ‘ब्रेकिंग द ग्रिडलॉक: रीइमेजिनिंग कोऑपरेशन इन ए पोलराइज्ड वर्ल्ड’ रिपोर्ट जारी की गई है. जिसमें भारत वैश्विक मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) में एक पायदान ऊपर चढ़ गया है. 2022 में भारत ने 134वें स्थान पर जगह बनाई है, जो साल 2021 में 135वें नंबर पर था. भारत ने ये स्थान 193 देशों की सूची में हासिल किया है.
दूसरे देशों की बात करें तो इस सूची में चीन 75वें पायदान पर है, जबकि भारत के दक्षिणी पड़ोसी श्रीलंका को 78वां स्थान दिया गया है. दोनों को उच्च मानव विकास श्रेणी के बांटा गया है. लिस्ट में भारत भूटान से भी नीचे है, इसने 125वें पायदान पर जगह बनाई है, वहीं बांग्लादेश 129वें स्थान पर है. भारत, भूटान और बांग्लादेश सभी मध्यम मानव विकास श्रेणी में हैं. स्विट्जरलैंड को पहला स्थान दिया गया है. नेपाल 146 और पाकिस्तान (164वें नंबर पर है.
इन क्षेत्रों में हुआ सुधार
भारत की जीवन प्रत्याशा यानी लाइफ एक्सपेक्टेंसी में सुधार हुआ है. 2021 में यह 67.2 वर्ष थी, जो बढ़कर 2022 में 67.7 वर्ष हो गई. इसके अलावा स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्षों (ईवाईएस) में कुल मिलाकर वृद्धि हुई है. ये 11.9 वर्ष से बढ़कर 12.6 वर्ष हो गई है, जिससे 18 स्थानों का सुधार हुआ है. इसके अलावा प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) भी 6,542 डॉलर से सुधरकर 6,951 डॉलर हो गई है.
अपनी क्षमताओं का लाभ उठाना जरूरी
रिपोर्ट से पता चला है कि अमीर और गरीब देशों के बीच असमानताओं को लगातार कम करने की दो दशकों की प्रवृत्ति अब उलट गई है. वैश्विक समाजों के गहराई से जुड़े होने के बावजूद मानव विकास कम हो रहा है. संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के प्रमुख अचिम स्टीनर ने कहा कि मौजूदा चुनौतियों का समाधान करने और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अपनी क्षमताओं का लाभ उठाना चाहिए.