भारत में बीते 8 साल में सबसे कमजोर मानसून की आशंका जताई जाने लगी है. दरअसल, अलनीनो की वजह से मौसम में हुए बदलाव से अगस्त के बाद सितंबर में कम बारिश का अनुमान है. मौसम विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर ऐसा होता है तो एक सदी में सबसे सूखा अगस्त हो सकता है. भारत में फसलों के लिए, जलाशयों और जलभृतों (aquifers) को भरने के लिए जरूरी पानी की पूर्ति करीब 70 फीसद मानसूनी बरसात से होती है. बता दें कि दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश में करीब आधी कृषि भूमि में सिंचाई की सुविधा नहीं है.
उत्पादन कम रहने पर सख्त कदम उठा सकती है सरकार
मौसम विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक ग्रीष्मकालीन बारिश कमजोर रहने पर चीनी, दालें, चावल और सब्जियां जैसी जरूरी वस्तुएं और महंगी हो सकती हैं, जिससे कुल खाद्य महंगाई में इजाफा हो सकता है. बता दें कि जनवरी 2020 के बाद से जुलाई के दौरान खाद्य महंगाई ऊपरी स्तर पर रही थी. उत्पादन में कमी होने की वजह से चावल, गेहूं और चीनी का दुनिया का दूसरा सबसे उत्पादक देश भारत इन वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध को लेकर कुछ सख्त कदम उठा सकता है.
मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अलनीनो की वजह से अगस्त के दौरान बरसात कम रही है और इसका सितंबर की बारिश पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. उनका कहना है कि जून-सितंबर मानसून सीजन 8 फीसद कमी के साथ खत्म होने की ओर बढ़ रहा है. बता दें कि साल 2015 में भी अलनीनो की वजह से मानसून की बरसात में कमी देखने को मिली थी. मौसम विभाग 31 अगस्त को सितंबर के लिए अपने अनुमान को जारी कर सकता है. मौसम विभाग ने 26 मई को अलनीनो की वजह से मौसम में हुए बदलाव को देखते हुए मानसून सीजन में 4 फीसद कम बरसात होने का अनुमान जारी किया था. मौसम विभाग के अधिकारियों ने इस महीने के शुरुआत में कहा था कि भारत में अगस्त का महीना एक सदी में सबसे शुष्क रहने की ओर बढ़ रहा है. मौजूदा समय में मानसून की बरसात अनियमित रही है जून में बरसात सामान्य से 9 फीसद कम दर्ज की गई थी, लेकिन जुलाई में बारिश सामान्य से 13 फीसद ऊपर हुई थी.
Published - August 29, 2023, 01:39 IST
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