डिजिटल रुपए के पायलट प्रोजेक्ट का दायरा बढ़ नहीं पा रहा है. इस समय देश भर में 16 करोड़ 39 लाख रुपए की राशि के ई-रुपए चलन में है. इसमें ई-रुपी रिटेल की हिस्सेदारी 5 करोड़ 70 लाख रुपए है वहीं ई-रुपया होलसेल की हिस्सेदारी 10 करोड़ 69 लाख रुपए है. रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने हाल में जारी अपनी एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी है.
दरअसल, ई रुपए को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है. बैंकों को अभी तक यह नहीं पता चल पाया है कि ई रुपया का रिकॉर्ड कैसे रखा जाएगा? इस बारे में आरबीआई ने भी कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किए हैं. इस वजह से बैंक इस मुद्रा के चलन को तरजीह नहीं दे रहे हैं. देश में ई रुपया एक दिसंबर, 2022 को रिटेल में लॉन्च हुआ था. पिछले छह महीने में बाजार में कुल 16.39 करोड़ रुपए की ही ई मुद्रा आ पाई है.
देश में ई-रुपया को 50 पैसे, 1, 2, 5, 10, 20, 50, 100, 200, 500 और 2000 रुपए के मूल्य वर्ग में लॉन्च किया गया है. RBI की रिपोर्ट के मुताबिक इस समय देश में देश सबसे ज्यादा 1 रुपए का ई-रुपया है जिसकी संख्या 38 लाख है. देश में 10 लाख रुपए मूल्य के 50 पैसे के ई-रुपया इस समय चलन में हैं. वहीं देश में चल रहे 2000 रुपए के ई-रुपया का कुल मूल्य 2 करोड़ 71 लाख है.
ई-रुपया के सर्कुलेशन में शामिल बैंक डिजिटल रुपए होलसेल पायलट प्रोजेक्ट के तहत नौ बैंक ई-रुपी सर्कुलेशन में शामिल हैं. इसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, HDFC बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और HSBC का नाम है.
क्या है ई-रुपया ई-रुपया के आने के बाद से अब आपको नोट या सिक्के रखने की कोई ज़रूरत नहीं है. ई-रुपया नोट और सिक्कों का डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक रूप है. इसमें कोई व्यक्तिगत हैंडलर शामिल नहीं होता है, जैसा कि यूपीआई लेनदेन के मामले में होता है. आप डिजिटल वॉलेट में रखे ई-रुपया का इस्तेमाल व्यक्ति-से-व्यक्ति (P2P) और व्यक्ति-से-व्यापारी (P2M) के बीच लेनदेन करने के लिए कर सकते हैं.
ई-रुपया का क्या होगा फायदा? ई-रुपया के आने से नकली करेंसी पर लगाम लग सकती है. इसके अलावा सरकार का करेंसी छापने का खर्च भी घटेगा. वहीं देश में रुपये को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने पर भी काफी पैसा खर्च करना पड़ता है. ई-रुपया से इसका भी समाधान हो जाएगा.
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