सरकार की तरफ से गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर पाबंदी के बाद पोर्ट्स पर लाखों टन चावल का स्टॉक इकट्टा हो गया है. निर्यात की अनुमति नहीं होने की वजह से पोर्ट्स पर चावल का स्टॉक बढ़कर 2 लाख टन हो गया है, जिसमें कोलकाता में श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट पर रखे 5,000 टन चावल का स्टॉक भी शामिल है. बता दें कि 20 जुलाई को जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक सरकार ने गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगा दिया था. हालांकि खेप को निर्यात के लिए सिर्फ तभी अनुमति दी जाएगी, जब जहाज पर लोडिंग पहले ही शुरू हो चुकी हो.
गौरतलब है कि अधिकांश कार्गो ने विदेश व्यापार महानिदेशालय यानी DGFT द्वारा 20 जुलाई की शाम को गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर पाबंदी लगाने की अधिसूचना जारी करने से पहले ही कस्टम क्लीयरेंस हासिल कर ली थी. वहीं सरकार की अधिसूचना से पहले कस्टम क्लीयरेंस के अभाव में चावल से भरे कुछ कार्गो और कंटेनर्स पोर्ट्स पर इकट्ठा हो गए हैं. बीते एक साल में भारत में चावल की कीमतों में 11 फीसद की महंगाई देखने को मिली है. भाव ऊंचा होने की वजह से लिवाल चावल की खरीदारी से पीछे हट रहे हैं. वहीं बिकवालों को ऊंचे भाव पर अपना माल बेचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है.
बता दें कि सरकार के पास एक विकल्प है जिसके तहत विशेष मंजूरी के साथ जरूरतमंद देशों को निर्यात की अनुमति मिलती है. ऐसे में उम्मीद है कि पोर्ट्स पर इकट्ठा हुए चावल का निर्यात अंतत: हो जाएगा. गौरतलब है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक है, वैश्विक व्यापार में 45 फीसद हिस्सेदारी है.
चावल निर्यातकों को क्या है डर?
दूसरी ओर चावल निर्यातकों ने वाणिज्य मंत्रालय से कहा है कि उनके पास विदेशी खरीदारों के लेटर ऑफ क्रेडिट हैं और अगर वे इन सौदों को पूरा नहीं करते हैं तो उन्हें विदेशों में मुकदमों का सामना करना पड़ सकता है. निर्यातकों का कहना है कि निर्यात प्रतिबद्धताएं पूरा नहीं होने पर वैश्विक बाजार में भारत की छवि को धक्का लग सकता है. वहीं वाणिज्य मंत्रालय ने सरकार से गैर बासमती चावल के निर्यात पर लगी पाबंदी में ढील देने की अपील की है.