इन दिनों टेक्नोलॉजी की दुनिया में चैटजीपीटी (ChatGPT) खूब सुर्खियों में हैं. लोग अपने काम को आसान बनाने के लिए इस तकनीक का सहारा ले रहे हैं, लेकिन बहुत से राजनेता और जानकार इसके दुरुपयोग को लेकर अरसे से चिंता में हैं, उनकी ये आशंका अब सच होती दिख रही है. दरअसल चैटजीपीटी का यूज करने वाले लगभग एक लाख व्यक्तियों का डेटा चोरी हो गया है. हैरानी की बात यह है कि इसमें भारतीय की संख्या सबसे ज्यादा है. इस बात का खुलासा सिंगापुर स्थित साइबर प्रौद्योगिकी कंपनी, ग्रुप आईबी की रिपोर्ट में हुआ है. इतना ही नहीं रिपोर्ट में बताया गयाहै कि भारतीयों की जानकारी डार्क वेब पर बेची जा रही है.
ये देश हुए सबसे ज्यादा प्रभावित ग्रुप-आईबी की थ्रेट इंटेलिजेंस यूनिट ने खुलासा किया है कि चैटजीपीटी का इस्तेमाल करने वाले भारत (12,632), पाकिस्तान (9,217), और ब्राजील (6,531) जैसे शीर्ष देश के उपयोगकर्ता साइबर हमले से प्रभावित हुए हैं. चोरी हुई ये जानकारियां डार्क वेब पर धड़ल्ले से किया जा रहा है, हैरानी की बात यह है कि एशियाई क्षेत्रों के डेटा का व्यापार सबसे ज्यादा हो रहा है.
टाइम मैगजीन ने एआई अधिनियम को लेकर खुलासा किया कि चैटजीपीटी निर्माता ओपनएआई, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी कंपनियों ने एआई अधिनियम में एआई को लेकर बनाए जाने वाले नियमों में रियायत देने की ईयू सी पैरवी की.
विश्व स्तर पर कंपनियां और लोग अपनी प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए चैटजीपीटी-जैसे जेनरेटिव एआई प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं. एआई प्लेटफॉर्म को कमांड देते समय, लोग चैटजीपीटी के साथ कुछ संवेदनशील डेटा साझा कर सकते हैं और यही फीचर इसे खास बनाता है. हालांकि कई कंपनियों ने ऐसे कारणों का हवाला देते हुए अपने कर्मचारियों को चैटजीपीटी का उपयोग करने से रोक दिया है.
क्या होता है डार्क वेब? डार्क वेब इंटरनेट का वह हिस्सा है, जहां वैध और अवैध दोनों तरीके के काम होता है. इंटरनेट का 96 फीसद हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब के अंदर आता है. डीप वेब पर मौजूद कंटेंट को एक्सेस करने के लिए पासवर्ड की जरूरत होती है जिसमें ई-मेल, नेट बैंकिंग आदि आते हैं. डार्क वेब को खोलने के लिए टॉर ब्राउजर (Tor Browser) का इस्तेमाल किया जाता है. डार्क वेब पर ड्रग्स, हथियार, पासवर्ड, चाईल्ड पॉर्न जैसी बैन चीजें भी मिलती हैं.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।