जलवायु परिवतर्न (Climate Change) के चलते दुनियाभर में मौसम का मिजाज बिगड़ गया है. कहीं भीषण गर्मी पड़ रही है तो कहीं बाढ़ की स्थिति है. मौसम की इस मार का असर सबसे ज्यादा श्रमिकों पर पड़ता है. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) ने इसको लेकर चिंता जाहिर की है. ILO ने सोमवार को कहा कि वैश्विक स्तर पर 70 फीसद से ज्यादा श्रमिक जलवायु परिवर्तन से जुड़े जोखिमों का शिकार हो सकते हैं. हर साल इस वजह से सैकड़ों वर्कर्स की जान जाती है. ऐसे में विभिन्न देशों की सरकारों को इस पर ध्यान देने की जरूरत है.
ILO ने एक रिपोर्ट में कहा कि लू, सूखा, जंगल में लगने वाली आग और तूफान जैसे जलवायु परिवर्तन के खतरों से श्रमिक सबसे ज्यादा जूझ रहे हैं. ये सामान्य आबादी की तुलना में अधिक असुरक्षित हैं क्योंकि वे ज्यादातर काम के सिलसिले में घर से बाहर रहते हैं. जैसे-जैसे खतरा बढ़ता है श्रमिकों की परेशानी बढ़ जाती है. इससे बचने के लिए सरकार की ओर से बनाए गए मौजूदा कानून का पुनर्मूल्यांकन करना या नए नियम तैयार करना जरूरी है. हालांकि, कतर जैसे कुछ देशों ने श्रमिकों के लिए गर्मी से सुरक्षा की व्यवस्था में सुधार किया है.
वायु प्रदूषण का भी बढ़ा खतरा
रिपोर्ट में कहा गया है कि अल्ट्रावॉयलेट किरणों (UV Rays) और वायु प्रदूषण करीब 1.6 अरब लोगों को प्रभावित कर रहा है. श्रमिक एक साथ कई खतरों के संपर्क में आता है इसलिए उसे कई बीमारियों का खतरा होता है. इनमें कैंसर, गुर्दे की शिथिलता और श्वास संबंधी बीमारियां हो सकती हैं. आईएलओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु प्रदूषण सबसे घातक खतरा है, जिससे हर साल बाहरी श्रमिकों में लगभग 8,60,000 काम-संबंधी मौतें होती हैं. वहीं ज्यादा गर्मी के कारण हर साल 18,970 मौतें होती हैं और यूवी विकिरण से नॉन-मेलेनोमा त्वचा कैंसर से 18,960 मौतें होती हैं.
Published - April 23, 2024, 01:18 IST
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