पिछले 24 घंटे में क्रिप्टो करेंसीज (Cryptocurrency) में गिरावट के चलते इनका मार्केट कैपिटलाइजेशन करीब 2 फीसदी नीचे आया है. यानी इनमें लगाया गया आपका लगाया गया पैसा घट गया है.
भारत में भी क्रिप्टो पर ऊहापोह की धुंध जारी है खबर ये आ रही है कि सरकार का क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी दर्जा देने का कोई इरादा नहीं है. इस बात को आप यूं समझ लीजिए कि जिस तरह से रुपये को लेनदेन के लिए आप इस्तेमाल करते हैं, वैसा दर्जा सरकार क्रिप्टो को देने के लिए राजी नहीं है. यानी अगर आप सोच रहे थे कि आने वाले वक्त में आप क्रिप्टोकरेंसी देकर खरीद-फरोख्त या दूसरे ट्रांजैक्शंस कर पाएंगे तो जान लीजिए कि इसकी इजाजत देने का सरकार का कोई इरादा नहीं है.
आप बस क्रिप्टोकरेंसी में पैसा लगाकर रिटर्न पाने की आस लगा सकते हैं. सरकार इसे रेगुलेट करने के लिए संसद के विंटर सेशन में बिल पेश कर सकती है. वहीं लगता है कि क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध तो नहीं होगा उसकी मंशा इसे कड़े नियमों के दायरे में लाने की है. यानी मोटा रिटर्न बटोरने के चक्कर में मची अंधाधुंध होड़ में आप कुछ हद तक धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े से निश्चिंत हो सकते हैं.
बड़े तौर पर सट्टेबाजी पर टिके इस धंधे में सरकार निवेशकों को कितना बचा पाएगी ये बड़ा सवाल है. सरकार की नजर क्रिप्टो के जरिए अपने खजाने का पेट भरने पर भी है.
आप क्रिप्टो से पैसा बना रहे थे और इस पर टैक्स को लेकर बेफिक्र थे तो अब नींद से जाग जाइए, क्योंकि माना जा रहा है कि सरकार अगले बजट में क्रिप्टोकरेंसी में आपके निवेश पर होने वाली कमाई पर टैक्स वसूलने के लिए नियम बनाने जा रही है. यानी क्रिप्टो में हुआ लॉस आपका, लेकिन अगर कमाई हुई तो उसमें सरकार भी भागीदार होगी.
वहीं इन करेंसीज में ट्रेड कराने वाले प्लेटफॉर्म्स पर 1% TCS लगाने की बात तो पहले से चल ही रही है. एक बड़ी खबर ये भी है कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेश को लेकर कंपनियां जिस तरह से लोगों को उकसा रही हैं उसे लेकर सरकार के साथ बैंक भी परेशान हैं.
भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अलग-अलग सेवाएं देने वाली कंपनियों की तादाद 400 तक पहुंच गई है. इनमें 100 तो इसी साल रजिस्टर्ड हुई हैं. पिछले साल के मुकाबले इस साल के पहले 6 महीने में क्रिप्टो में फंडिंग में 73% का भारी उछाल आया है. यही नहीं, क्रिप्टोकरेंसीज में औसत निवेश भी एक साल पहले के 6,000-8,000 रुपये के मुकाबले बढ़कर 10,000 पर पहुंच गया है.