दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं होता है. समय के साथ हमारी जरूरतें, आय और परिस्थितियां बदलती रहती हैं. उसी हिसाब से अपने फाइनेंशियल प्लान (financial plan) में भी बदलाव करते रहना चाहिए.
वित्तीय योजना को कब बदलना सही होता है, इसपर प्रोमोर फिनटेक की सह-संस्थापक निशा सांघवी ने मनी9 हेल्पलाइन में सलाह दी.
संपादित अंश
विवेक गोयंका: क्या हमें हर छह महीने पर वित्तीय योजना का रिव्यू करना चाहिए? रिव्यू करते वक्त किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए? क्या फंड के एक्सपेंस, बेंचमार्क रिटर्न, इक्विटी डेट एलोकेशन के रीबैलेंस आदि के आधार पर बदलाव करने चाहिए?
सांघवी: आपकी योजना सही है या गलत, इसका पता लगाने के लिए छह महीने की अवधि काफी कम होती है. हालांकि, मार्केट के हालात को देखते हुए तय किया जा सकता है कि प्लान बदलने की जरूरत है या नहीं. उदाहरण के लिए, पिछले साल जब मार्केट में गिरावट हो रही थी, उस वक्त इक्विटी से डेट में जाने की कोई जरूरत नहीं थी. इक्विटी में ही टॉप-अप किया जा सकता था. ऐसी स्थिति में आप एडवाइजर की मदद ले सकते हैं. मौजूदा समय में क्या किया जाना चाहिए, इसपर वे आपको सही सलाह देंगे.