इंटरनेशनल फंड वो म्यूचुअल फंड (MF) हैं जो विदेशी कंपनियों के शेयर्स में निवेश करती हैं. इंटरनेशनल फंड डाइवर्सिफिकेशन का एक अच्छा विकल्प है जिसके जरिए एक निवेशक अपने पोर्टफोलियो में Geographical रिस्क कम कर सकता है. कई बार ऐसा हुआ है कि भारत की अर्थव्यवस्था का हाल खस्ता रहा लेकिन इसके मुकाबले अमेरिका जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में रहीं. विदेशी मुद्रा की बढ़त का फायदा भी ग्लोबल फंड्स से मिलता है. भारत के कई फंड हैं जिनका 5-30% निवेश ग्लोबल स्टॉक्स में है. Finfix की फाउंडर प्रबलीन बाजपेयी कहती हैं कि इटरनेशनल फंड आपको नई थीम और बाजारों में निवेश करने का मौका देती है.
निवेशकों को क्या डोमेस्टिक फंड के जरिए ग्लोबल बाजार में निवेश करना चाहिए या अलग से इंटरनेशनल फंड में निवेश करें?
Parag Parikh Flexi Cap, DSP Value , Kotak Pioneer Fund जैसी करीब 10-15 स्कीम हैं जो ग्लोबल बाजार में भी निवेश करती है. Finfix की फाउंडर प्रबलीन बाजपेयी के मुताबिक निवेशकों को कई बार पता ही नहीं होता कि उनके फंड्स का निवेश कहां-कहां है? इंटरनेशनल फंड में निवेश करने के पहले अपने पोर्टफोलियो को रिव्यू करें अगर मौजूदा फंड का exposure आपके पोर्टफोलियो के 25% है तो फिर आपको अलग से फंड लेने की जरुरत नहीं. लेकिन अकसर देखा जाता है कि रेगुलर फंड में इंटरनेशनल बाजार का हिस्सा छोटा रहता है. मौजूदा फंड में ग्लोबल निवेश का हिस्सा अगर छोटा है और निवेश बढ़ाना है तो अलग से ग्लोबल फंड में निवेश कर सकते हैं. ध्यान रहे कि इंटरनेशनल फंड निवेश हमेशा लंबे समय के लिए करें.
Finfix की फाउंडर प्रबलीन बाजपेयी से पूरी बातचीत इस वीडियो मेंः