फैक्टर इन्वेस्टिंग (जिसे बीटा इन्वेस्टिंग भी कहा जाता है) की लोकप्रियता भारत में बढ़ रही है. फैक्टर इन्वेस्टिंग एक्टिव और पैसिव इन्वेस्टमेंट दोनों के बीच की चीज है. इसमें मानवीय भावनाओं को दूर रखा जाता है और नियमों के आधार पर निवेश किया जाता है. मनी9 के साथ बातचीत में QED कैपिटल, PMS के मैनेजिंग पार्टनर और प्रिंसिपल ऑफिसर अनीश तेली ने तीन तरह की फैक्टर स्ट्रैटेजीज- वैल्यू, क्वालिटी और मोमेंटम के बारे में जानकारी दी.
वैल्यू स्ट्रैटेजी में कम वैल्यूएशन वाले स्टॉक्स पर फोकस होता है. क्वालिटी में लगातार प्रॉफिटेबिलिटी पर नजर रखी जाती है. जबकि, मोमेंटम स्ट्रैटेजी में हालिया प्रदर्शन के आधार पर भविष्य के परफॉर्मेंस का आकलन किया जाता है.
फैक्टर इन्वेस्टिंग के बारे में निवेशकों को क्या जानकारी होनी चाहिए इस पर तेली कहते हैं कि इस तरह की स्ट्रैटेजीज हमेशा कारगर नहीं होती हैं. अलग-अलग मार्केट साइकल्स में अलग-अलग रणनीतियां काम आती हैं.
चूंकि मोमेंटम स्ट्रैटेजी शॉर्ट-टर्म परफॉर्मेंस पर फोकस करती है, ऐसे में ये सभी साइकल्स में मदद दे सकती है.