ग्रे मार्केट (Grey Market) एक समानांतर मार्केट होता है जहां पर रेगुलर मार्केट से अलग ट्रेडिंग होती है. ग्रे मार्केट (Grey Market) में कंपनी के शेयरों की खरीद-फरोख्त अनौपचारिक तौर पर होती है. ये कारोबार कंपनी के IPO लाने से पहले होता है.
एसेट योगी के मुकुल मलिक, QED कैपिटल के अनीश तेली और ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के चिंतन हरिया और दोहानॉमिक्स के विनायक सप्रे ने ग्रे मार्केट प्रीमियम (grey market premium – GMP) पर अपनी एक्सपर्ट राय जाहिर की है. इसके अलावा, इन्होंने फैक्टर इन्वेस्टिंग, सिस्टेमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) और इन्वेस्टमेंट रणनीतियों पर भी चर्चा की है.
मुकुल मलिक ने कहा, “हमें पता होना चाहिए कि GMP कोई वैध जरियों से नहीं आता है. हमें नहीं पता कि ये कैसे तय होता है. ऐसे में इसे ग्रे कहा जाता है. ये सौदे स्टॉक मार्केट से अलग होते हैं और इन्हें सेबी द्वारा रेगुलेट नहीं किया जाता है. अगर आपको विश्वस्त सूत्रों से GMP के बारे में जानकारी मिलती है तो निश्चित तौर पर ये मार्केट इंडीकेटर है. हमें GMP प्राइस को नजरंदाज नहीं करना चाहिए. कोई भी निवेशक GMP चुकाने को इसलिए तैयार होता है क्योंकि इसमें लिस्टिंग पर फायदा होने के ज्यादा आसार होते हैं.”
फैक्टर इन्वेस्टिंग में पैसिव और एक्टिव इन्वेस्टमेंट के बेहतरीन फीचर्स शामिल होते हैं. इसे स्मार्ट बीटा इन्वेस्टिंग भी कहा जाता है.