विदेश में पॉपुलर हो रही म्यूचुअल फंड की ESG थीम अब भारत में भी अपनी जगह बना रही है. ESG में E का मतलब है एनवायरनमेंट, S से सोशल और G है गवर्नेंस . ESG इनवेस्टमेंट की नींव कंपनियों के मुनाफे की बजाय कंपनियों के काम करने के तौर-तरीकों पर रहता है. ESG स्कीम में शामिल कंपनियां पर्यावरण, सामाजिक और Corporate Governance से जुड़े सिद्धांतों का पालन करती है. भारत में फिलहाल 11 ESG फंड है जिसमें से 8 फंड 2020 और 2021 में लॉन्च हुए हैं. Morningstar India के Director Research कौस्तुभ बेलापुरकर के मुताबिक ESG स्कीम कंपनियों को सस्टेनेबिलिटी के आधार पर आंकती हैं. जिन कंपनियों का मैनेजमेंट इन सिद्धांतों को अपनाता है, उसमें भविष्य में कमाई बढ़ाने की क्षमता होती है.
ESG कहीं मार्केटिंग गिमिक तो नहीं ?
विदेशी संस्थागत निवेशक इस थीम से जुड़ी कपनिंयो में निवेश करना पसंद करते हैं. इसलिए ‘ग्रीनैवाॉशिंग’ का खतरा रहता है. कौस्तुभ समझाते हैं कि ग्रीनवॉशिंग का मतलब होता है कि कंपनियां ESG के पैमाने पर अपने आपको खरा बता सकती है लेकिन जब उन्हें चेक किया जाता है तो पता चलता हैं कि वो बातों को बढ़ा चढ़ाकर पेश कर रहीं थी. ऐसे में निवेशकों को रिसर्च कंपनियों की ESG Ratings से मदद मिल सकती है. Morningstar और Sustain Analytics ग्लोब रेटिंग्स निकालती है जिसमें 1- 5 के स्केल में कंपनियों के गहन अध्ययन के बाद रेटिंग दी जाती है .
ESG फंड में निवेश करने से पहले क्या रखें ध्यान?
Morningstar India के Director Research कौस्तुभ बेलापुरकर बताते हैं कि अभी केवल एक फंड को छोड़कर बाकि 10 फंड नए हैं और पिछले रिटर्न का ट्रेक रिकॉर्ड नहीं हैं. इन फंड्य में अभी लार्ज कैप कंपनियां ही शामिल है. इसलिए पोर्टफोलियो में अभी 5-10% से ज्यादा इनका एलोकेशन नहीं होना चाहिए. अगर पहले से लार्ज कैप मौजूद है तो ESG को शामिल करते हुए पुराने लार्ज कैप फंड से exit कर लें. ESG फंड में निवेश की अवधि पांच साल होनी ही चाहिए. कौस्तुभ बेलापुरकर से इस पूरी बातचीत का वीडियो जरूर देखें-