इनकम टैक्स ये दोनों शब्द सुनते ही थोड़ी टेंशन होने लगती है. इसकी एक बड़ी वजह ये है कि इनकम टैक्स के कई नियम के अंदर सब-सेक्शन के तहत एक और नियम की परत रहती है. इसे ऐसे समझिए कि इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80 C के तहत जब आप पूरी 1.5 लाख रुपये की छूट ले लेते हैं तब भी सेक्शन के कई सब-सेक्शन आपको अतिरिक्त छूट दिलवा सकते हैं. ऐसे ही इनकम टैक्स के तीन पेंच समझिए और टैक्स बचाने में गलती से बचिए.
पेंच नंबर 1- EPF कॉन्ट्रीब्यूशन में क्या ध्यान में रखना है?
अगर आप सैलरीड हैं तो हर महीने आपकी सैलरी के बेसिक का 24% हिस्सा एम्पलॉई प्रॉविडेंट फंड (EPF) में जमा होता है. 12 परसेंट आप कॉन्ट्रीब्यूट करते हैं और 12 परसेंट आपका एम्पलॉयर. इसपर 80 C के तहत छूट मिलती है. लेकिन, ध्यान रहे कि ये छूट केवल आपको अपने 12% के योगदान पर ही मिलेगी. एम्पलॉयर के योगदान पर छूट नहीं मिलती क्योंकि ये पहले से ही टैक्स एक्सेंपटेड है इसलिए इसे टैक्स छूट के तौर पर क्लेम नहीं कर सकते.
पेंच नंबर 2- NPS योगदान पर अतिरिक्त छूट
जैसे ही 80 C की छूट वाला सेक्शन हाउसफुल होता है हमें लगता हैं कि अब किसी तरह के इवेंस्टमेंट पर कोई छूट नहीं मिलेगी. लेकिन IT कानून के सेक्शन 80 CCD 1 B के तहत NPS के निवेश पर अतरिक्त 50,000 रुपये की छूट मिलती है. कुल मिलाकर NPS में आपको 2 लाख रुपये की इनकम टैक्स छूट मिल जाती है. इतना ही नहीं एंप्लॉयर कंट्रीब्यूशन पर सेक्शन 80CCD 2 के तहत छूट मिलेगी लेकिन एंप्लॉयर का योगदान सैलरी और बेसिक के 10% से ज्यादा न हो.
पेंच नंबर तीन- म्यूचुअल फंड पर टैक्स छूट मिलती है या नहीं?
अगर आप केवल म्यूचुअल फंड में निवेश करेंगें तो टैक्स छूट नहीं मिलेगी लेकिन अगर आप इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) म्यूचुअल फंड में निवेश करेंगे तो 80 C के तहत 1.5 लाख के डिडक्शन में छूट क्लेम कर पाएंगे. ये टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड (MF ) होते हैं जिसमे तीन साल का एक लॉक इन फॉलो करना पड़ता है.
इन तीनों के बारे में डीटेल में समझने के लिए देखें ये वीडियो: