हाल के वक्त में म्यूचुअल फंड इनफ्लो में इजाफा हुआ है. म्यूचुअल फंड्स में पैसा लगाना शुरू करने वाले कई इन्वेस्टर्स को इसमें मौजूद जोखिम के बारे में आइडिया नहीं होता है. मनी9 हेल्पलाइन में कंप्लीट सर्किल कंसल्टेंट्स के को-फाउंडर गुरमीत चड्ढा ने लोगों के म्यूचुअल फंड्स निवेश और इनमें शामिल जोखिमों से जुड़े सवालों के जवाब दिए.
पेश हैं इस बातचीत के अंशः
अरुण सिंहः 30 साल से अधिक वक्त के निवेश के लिए म्यूचुअल फंड में क्या जोखिम हो सकते हैं और इनका आकलन कैसे किया जा सकता है.
सबसे पहली बात कि अगर आप 30 साल से ज्यादा वक्त के लिए निवेश करना चाहते हैं तो ये एक बेहतरीन शुरुआत है. आप 3-4 बातों पर गौर कर सकते हैं. आपको ये देखना चाहिए कि फंड अल्फा देने में कितना रेगुलर है. यानी कि फंड बेंचमार्क के मुकाबले कैसा परफॉर्म कर रहा है. दूसरा, फंड में उतार-चढ़ाव नहीं होना चाहिए. शार्प रेशियो देखना चाहिए, इससे आपको ये आइडिया मिलता है कि आप अतिरिक्त रिटर्न के लिए कितना जोखिम ले सकते हैं. तीसरा, अपने पोर्टफोलियो का रिव्यू सावधानी से कीजिए. फंड को कम से कम तीन से चार साल दीजिए.
सुभारत चौधरीः मेरे पास UTI निफ्टी इंडेक्स और एक्सिस ब्लूचिप हैं. मैंने 2019 में दोनों में SIP के जरिए निवेश किया है. दोनों में मैं बराबर रकम लगा रहा हूं. मुझे इनमें से कौन सा जारी रखना चाहिए?
मैं सुझाव दूंगा कि आप दोनों फंड्स में बने रहें. आप एक या दो और फंड्स भी जोड़ सकते हैं. ये फ्लेक्सी कैप या मल्टीकैप फंड हो सकते हैं. अगर आप 10 या उससे अधिक साल के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आप मिड या स्मॉलकैप भी इसमें शामिल कर सकते हैं. इससे आपको पोर्टफोलियो पूरा हो जाएगा और ये ज्यादा व्यापक मार्केट को कवर करेगा.
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