Retro Tax Amendment: अर्थव्यवस्था, मार्केट पर होगा क्या असर

Retro Tax: विशेषज्ञों का मानना है कि रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स को हटाने का फैसला एक अच्छा कदम है. इससे संभावित वैश्विक निवेशकों को आकर्षित किया जा सकेगा


रेट्रोस्पेक्टिव टैक्सेशन (Retro Tax) को लेकर चर्चा फिर से तेज हुई है. हालांकि, इस बार चर्चा सकारात्मक है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सप्ताह घोषणा की थी कि सरकार ने विवादित टैक्स को खत्म करने का फैसला किया है. सीतारमण ने इससे जुड़े कानून को ‘खराब और निवेशकों के लिए बुरा’ बताते हुए कहा था इससे जुड़े 17 मुकदमे चल रहे थे. सुप्रीम कोर्ट ने भी 2012 में कहा था कि विदेशी कंपनियों के शेयरों के इनडायरेक्ट ट्रांसफर पर टैक्स नहीं वसूला जा सकता है.

वित्त मंत्री ने संसद में कहा, ‘इस विधेयक को स्पष्टीकरण के तौर पर लाया गया है.’ लोकसभा ने 6 अगस्त, 2021 को भारतीय संपत्ति के इनडायरेक्ट ट्रांसफर पर लगने वाले सभी रेट्रो टैक्स को खत्म करने का फैसला किया है.

Retro Tax क्या है?

‘रेट्रोस्पेक्टिव’ का मतलब होता है पीछे देखना. टैक्स की भाषा में  रेट्रो टैक्स का मतलब है उस ट्रांजेक्शन से कर वसूली की जाती है जो कानून बनने से पहले हुआ था.

सरकार ने इसे क्यों खत्म किया है?

अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता में भारत को इसपर कई झटके मिल चुके थे. प्रस्तावित कर संशोधन से 17 संस्थाओं को लाभ होगा, जिनसे 1.1 लाख करोड़ रुपये की कर मांग की गई थी.

Retro Tax हटने से भारत को फायदा होगा?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह अच्छा कदम है, जो संभावित वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करेगा. यह कर कानूनों में निश्चितता के महत्व को पहचानता है. इससे देश एक आकर्षक इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन बनता है.

 

Published - August 8, 2021, 04:21 IST