मनी मैटर्स में हम आपके लिए दिनभर की टॉप पर्सनल फाइनेंस स्टोरीज लेकर आते हैं. ये ऐसी स्टोरीज होती हैं जिनका सीधा असर आपके बटुए पर पड़ता है. चाहे बात रोजगार की हो, बढ़ते कर्ज, अचानक आने वाले खर्चों, इंश्योरें, मार्केट अपडेट या कोई और खबर हो, हम आपको आपके काम की हर बात बताते हैं.
इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने 2013 में मल्टीपल पॉलिसियों के क्लेम से संबंधित नियमों में बदलाव किया है. 2013 से पहले, प्रत्येक बीमाकर्ता को बीमा राशि के अनुपात में क्लेम अमाउंट सेटल करना पड़ता था. नया रेगुलेशन काफी आसान है.
मौजूदा नियमों के दो हिस्से हैं. सबसे पहला, यदि क्लेम अमाउंट बीमा राशि से कम है, तो आप अपनी पसंद के बीमाकर्ता से पूरे अमाउंट का क्लेम कर सकते हैं. यदि क्लेम अमाउंट बीमित राशि से अधिक है, तो कॉन्ट्रीब्यूशन क्लॉज लागू होगा, जहां प्रत्येक बीमाकर्ता को बीमा राशि के अनुपात में क्लेम का सेटलमेंट करना होगा.
आजकल लगभग हम सभी के पास कई दस्तावेज (Documents) हैं, जैसे पैन, आधार, पासपोर्ट, वोटर कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस. किसी के भी जीवनकाल में ये दस्तावेज महत्वपूर्ण होते हैं और हर दूसरे दिन इनकी आवश्यकता होती है.
लेकिन व्यक्ति की मृत्यु के बाद इन दस्तावेजों का क्या होता है? कोई इनका दुरुपयोग न कर सके, इसके लिए परिवार के सदस्यों को इन दस्तावेजों का क्या करना चाहिए.
सभी प्रकार के वित्तीय लेनदेन, आयकर रिटर्न दाखिल करने, किसी भी प्रकार के निवेश, शेयरों और म्यूचुअल फंड में निवेश और अन्य महत्वपूर्ण चीजों के लिए पैन कार्ड अनिवार्य है.
आईटीआर दाखिल करने के मामले में, पैन को तब तक रखा जाना चाहिए जब तक कि आयकर विभाग द्वारा कर रिटर्न दाखिल और प्रोसेस नहीं किया जाता है.