Smallcase: स्मॉलकेस शेयरों में निवेश करने का नया तरीका है. ये म्यूचुअल फंड से एकदम अलग है और जैसे आप कंपनियों के शेयर खरीदते हैं उससे भी अलग है. आप स्मॉलकेस (Smallcase) में एक शेयर नहीं बल्कि थीम और स्ट्रैटजी के आधार पर स्टॉक्स या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) का एक बास्केट खरीदते हैं. इनके थीम ग्रामीण विकास से लेकर डिजिटल स्पेस से जुड़ी फिनटेक कंपनियां हो सकती हैं या मोमेंटम, वैल्यू और ग्रोथ की स्ट्रैटेजी पर भी स्मॉलकेस तैयार होते हैं.
इसको SEBI-रजिस्टर्ड प्रोफेशनल्स तैयार और मैनेज करते हैं. स्मॉलकेस के जरिए डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो खरीदने का मौका मिलता है. Weekend Investing के फाउंडर आलोक जैन ने बताते हैं कि अभी भारत में कुल 250 थीम के बास्केट हैं और करीब 120 रजिस्टर्ड मैनेजर्स जो आपके लिए स्मॉलकेस (Smallcase) तैयार करते हैं.
स्मॉलकेस इन्वेस्टिंग का खर्च
एक स्मॉलकेस में 2 से लेकर 50 शेयर हो सकते हैं. स्मॉलकेस (Smallcase) में निवेश शुरू करने के लिए डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट होना जरूरी है. दो वन-टाइम खर्चे जो आपको हर हाल में करना है वो है 118 रुपये आपको स्मॉलकेस प्लेटफॉर्म को रजिस्ट्री के लिए देनें होंगें. 100 रुपये की फीस आपको ब्रोकरेज को देनी होगी.
इसके बाद आपके पास दो विकल्प हैं कि मुफ्त वाले स्मॉलकेस (Smallcase) ले सकते हैं या फिर पेड वाले जिसमें आपको स्मॉलकेस मैनेजर को फीस देनी होती है. रिसर्च फीस सालाना 5,000-10,000 रुपये या निवेश की रकम का 1-2 फीसदी हो सकती है.
स्मॉलकेस (Smallcase) में आप स्टॉक्स के वेटेज के मुताबिक पेमेंट करते हैं. अभी बाजार में 300 रुपये से 1.5 लाख रुपये तक के स्मॉलकेस हैं. Weekend Investing के फाउंडर आलोक जैन के मुताबिक, आपको कम कीमत वाले स्मॉलकेस से निवेश की शुरुआत करनी चाहिए.
स्मॉलकेस में निवेश के फायदे
MF में आपका फंड मैनेजर ही सारे फैसले लेता है. लेकिन स्मॉलकेस (Smallcase) में आप खुद स्टॉक्स को कभी भी बदल सकते हैं. स्मॉलकेस मैनेजर पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करता है पर ये आपका फैसला होगा कि आप शेयर्स को बदलना चाहते हैं या नहीं. आपके गो-अहेड के बगैर आपका पोर्टफोलियो नहीं बदला जाएगा.
Weekend Investing के फाउंडर आलोक जैन से स्मॉलकेस इनवेस्टिंग को समझने के लिए वीडियो देखें.
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