मुश्किलों का सामना करते हुए युद्ध के फ्रंट पर डटकर देश की रक्षा करने वाले फौजी फाइनेंशियल फ्रंट पर मुस्तैद नहीं हो पा रहे. वित्तीय समझ और निवेश की जानकारी कम होने से इंवेस्टमेंट को नजरअंदाज कर रहें हैं जवान. निवेश की दुनिया में उनके कमद पड़ते भी हैं, तो देरी से. एसेट बैंकिंग के स्ट्रैटेजिक एडवाइजर डायरेक्टर ब्रिगेडियर जे के तिवारी (शौर्य चक्र) बताते हैं कि सेना में हमारा माइंडसेट देश के लिए कुछ करने का होता है. ऐसे में जवान पैसे के बारे में न ज्यादा बात करते हैं, न सोचते हैं.
कहां चाहिए गाइडेंस?
‘हम फौजी’ नाम की इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी चलाने वाले कर्नल संजीव गोविला ने इस काम को शुरू ही इसलिए किया कि उन्हें लगा फाइनेंशियल प्लानिंग में पीछे छूट जा रहें हैं जवान. ऑफिसर जब रिटायर होते हैं, तब जाकर रिटायरमेंट कॉर्पस को लेकर सोचना शुरू करते हैं. यही अगर कैडेट लेवल से पैसे और निवेश की जानकारी दी जाए, तो फौजी अपने परिवार के और भी सपने पूरे कर सकेंगे. बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स को निवेश की ट्रेनिंग देने वाले एज इंस्टिट्यूट फॉर फाइनेंशियल स्टडीज के डायरेक्टर वरुण मल्होत्रा बताते हैं कि सेना से प्रोविडेंट फंड, इंश्योरेंस और पेंशन मिलती है. राशन का खर्च भी मिलता है. ऐसे में फौजियों की सैलरी का बड़ा हिस्सा बचता है. जागरूकता नहीं होने से वे और उनके परिवार वाले इस अतिरिक्त पैसे को निवेश नहीं करते. वरुण के मुताबिक, सैनिक अगर शुरुआत से ही मार्केट से जुड़ें, निवेश करें, तो उन्हें करोड़पति बनने से कोई नहीं रोक सकता.
शहीदों के परिवारों के लिए वित्तीय सहायता जरूरी
शहीदों के परिवार को इज्जत की जिंदगी देने के बारे में सोचने की जरूरत है. ब्रिगेडियर तिवारी के मुताबिक, सैनिक के गुजरने के बाद उनके परिवार के जरूरतों का ख्याल रखना सबकी जिम्मेदारी है. कर्नल गोविला कहते हैं कि अगर इन परिवारों को रियायती दर पर लोन की सुविधा मिले तो काफी मदद होगी. सिर्फ सरकार ही नहीं, बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भी इस बारे में सोचना चाहिए.
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