Gold Rates: सोने की कीमत लंबे समय से 47000- 49,000 रुपये (पर 10 ग्राम) के दायरे में बनी हुई है. अगस्त 2020 के 56,000 रुपये के हाइ से अब कहीं नीचे के स्तर पर सोना क्या अपनी चमक खो चुका है? मोतीलाल ओसवाल के VP हेड रिसर्च कॉमोडिटी नवनीत दमानी के मुताबिक सोने की सुस्ती से घबराने की जरूरत नहीं . सोना हमेशा cycles में रिटर्न देता है और इस तरह के दबाव से भी सोना गुजरता है. आने वाले 1-2 तिमाही में ये डाउनवर्ड ट्रेंड देखने को मिलेगा. दमानी को विश्वास है कि साल 2022 में सोने की कीमतें बढ़ेंगी और ये 15-20% का रिटर्न देगी.
निवेश करें या दूर रहें ?
मोतीलाल ओसवाल के नवनीत दमानी कहते हैं कि सोने में गिरावट खरीदारी का अच्छा मौका दे रही है. सोने को हमेशा सुरक्षित निवेश माना जाता है. इक्विटी जब भी दौड़ लगाता है सोना सुस्त पड़ जाता है . लेकिन इस सुस्ती को मौका समझिए.
आपके पोर्टफोलियो में सोना 5 से 10% से ज्यादा नहीं होना चाहिए. जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार सोने में निवेश रखें. अग्रेसिव पोर्टफोलियो में 5% हिस्सा सोने का हो सकता है. पैसिव और मॉडरेट पोर्टफोलियो में 7.5% से थोड़ा ऊपर निवेश रखा जा सकता है.
Physical Gold Vs Digital Gold
ज्वेलरी और गोल्ड बार के अलवा गोल्ड के डिजिटल रूप के तरफ लोगों का रूझान बढ़ रहा है . सॉवरेन गोल्ड बांड( SGB) और गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) डिजिटल गोल्ड का अच्छा विकल्प है.
इसमें आपको न सोने की सुरक्षा की चिंता होती है न शुद्धता की. SGB में सरकार से ब्याज मिलता है लेकिन इसमें 8 साल का लॉक इन होता है . टेन्योर पूरा किए बिना SGB निवेश से 5साल के बाद exit लिया जा सकता है.
SGB के ब्याज पर टैक्स लगता है लेकिन 8 साल का टेन्योर पूरा करने पर कैपिटल गेन्स पर टैक्स नहीं लगता. वहीं ETF को स्टॉक्स या म्यूचुअल फंड की तरह कभी भी खरीद-बेच सकते हैं.
नवनीत दमानी के मुताबिक सोना एक ऐसा एसेट है जो हर कोई खरीदना चाहता है और इसलिए हर तरह के निवेशक के लिए खरीदने का विकल्प आपको मिल जाएगा. नवनीत दमानी से इस पूरी बातचीत इस वीडियो में-