Instant Loan देने वाले ऐप्‍स पर आरबीआई की सख्ती

Instant Loan: हैदराबाद की अंकिता को अचानक कुछ पैसों की जरूरत पड़ी. किसी ने उन्हें बताया कि फलां एप के जरिए आपको फटाफट लोन मिल जाएगा.

  • Team Money9
  • Updated Date - November 29, 2021, 03:50 IST



झटपट पैसा बांटने (Instant Loan) वाले एप्स पर आरबीआई ने सख्‍ती की है. अब इंस्टैंट लोन (Instant Loan) देने वाले एप्स की मनमानी अब नहीं चलेगी. आपको बता दें कि जानलेवा बन चुके इन एप्स पर आरबीआई सख्त है. यानी हैरेसमेंट से लेकर गुंडागर्दी और लोगों को सुसाइड के लिए मजबूर करने वाले इन एप्स की गर्दन दबोचने की तैयारी पूरी हो गई है, लेकिन ये पूरा मसला आखिर है क्या? कहानी दरअसल डेढ़-दो साल पहले शुरू होती है. हैदराबाद की अंकिता को अचानक कुछ पैसों की जरूरत पड़ी. किसी ने उन्हें बताया कि फलां एप के जरिए आपको फटाफट लोन मिल जाएगा.

अंकिता ने एप डाउनलोड किया. वे हैरान थीं और खुश भी कि अगले आधे घंटे में उनके खाते में पैसे आ चुके थे, लेकिन, चुटकियों में मिला ये पैसा उन पर भारी पड़ने वाला था. अगले चंद दिनों में अंकिता ने अपनी जिंदगी का सबसे बुरा वक्त देख लिया, उन्हें पैसे चुकाने के लिए लगातार धमकियां मिलीं, उनकी बेइज्जती की गई, उनके दोस्तों से लेकर दूर-दराज के रिश्तेदारों तक को कॉल कर अंकिता की उधारी चुकाने के लिए कहा गया.

तेजी से बढ़ता गया ब्‍याज

बात इतनी ही नहीं थी, उनके लिए गए चंद हजार रुपये का मीटर रॉकेट की रफ्तार से बढ़ रहा था और कुछ दिनों में ही ये लाखों में चला गया था. अंकिता ने अपने पास रखा सोना बेचकर इस कर्ज को जैसे-तैसे चुकाया. हालांकि, कई वाकये ऐसे भी आए जिनमें लोगों ने इस हैरेसमेंट से तंग आकर सुसाइड कर लिया, न कोई रेगुलेशन और न ही कोई कायदा-कानून, इन इंस्टैंट लोन देने वाले इन एप्स में कई चाइनीज भी हैं.

कितना बड़ा है लोन एप्स का धंधा?

भारतीय एंड्रॉयड यूजर्स के लिए 1,100 लेंडिंग एप्स हैं. इनमें से 600 अवैध हैं. डिजिटल लेंडिंग एप्स का धंधा हजारों करोड़ रुपये का है.

अब आंकड़ों में इस समझिए

2017 में डिजिटल लोन का आंकड़ा 11,671 करोड़ का था. 2020 में ये बढ़कर 1.42 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया
यानी बस 3 साल में ये बाजार 12 गुना फैल गया. ये रिजर्व बैंक का आंकड़ा है. Inc24 का डेटा बताता है कि इस साल जनवरी से अगस्त के बीच लेंडिंग टेक कंपनियों को 80.6 करोड़ डॉलर की फंडिंग मिली है. 2019 तक के 7 वर्षों में रिटेल डिजिटल लेंडिंग 40% की कंपाउंडिंग ग्रोथ से बढ़ी है.

क्या है RBI की मंशा?

रिजर्व बैंक के पैनल ने कुछ सिफारिशें की हैं जो आम लोगों को इस ट्रैप से बचा सकती हैं. रिजर्व बैंक एक नोडल एजेंसी बनाने की बात कर रहा है ताकि अवैध लोन का कारोबार बंद हो सके. पैनल ने अवैध लोन एप्स का धंधा बंद करने के लिए कानून बनाने की बात की है. डिजिटल लेंडिंग एप्स को इस नोडल एजेंसी के जरिए वेरिफिकेशन की प्रक्रिया से भी गुजरना होगा. सेल्फ रेगुलेटरी ऑर्गनाइजेशन (SRO) बनाने की भी बात की गई है जिसकी नींव आरबीआई की गाइडलाइंस के आधार पर रखी जाएगी.

रिजर्व बैंक क्या चाहता है?

रिजर्व बैंक का मकसद साफ है. ये है डिजिटल तरीके से अवैध लोन बांटने वाले एप्स और कंपनियों पर लगाम लगाना
यानी आम लोगों की सुरक्षा करना हालांकि, इसका एक और फायदा भी होगा. आरबीआई के इस धंधे को नियम-कानूनों के दायरे में लाने से डिजिटल लेंडिंग बाजार को रफ्तार भी मिलने की उम्मीद है. डिजिटल लेंडर्स भी ऐसा कह रहे हैं. जिन लोगों की पहुंच औपचारिक बैंकिंग तक नहीं है उन्हें भी इससे फायदा होगा.

मनी9 की सलाह है कि अगर आपको फटाफट पैसा चाहिए और आप इन डिजिटल लोन एप्स से पैसा लेना चाहते हैं तो सबसे पहले इनके बारे में छानबीन जरूर कर लें, कहीं आप अवैध लोन एप के जाल में न फंस जाएं.

जब तक रिजर्व बैंक इन एप्स को लेकर अपने दिशानिर्देश लागू नहीं कर देता तब तक आपको अपनी सुरक्षा खुद ही करनी होगी. इन फर्जी लोन एप्स से नुकसान या धोखाधड़ी से बचने के लिए आपको बेहद सतर्क रहना जरूरी है.

Published - November 29, 2021, 03:50 IST