आजादी की 75 वीं सालगिरह पर मनी9 ने प्रीति राठी गुप्ता, कर्नल संजीव गोविला (रिटायर्ड), वरुण मल्होत्रा और तसकीन फातिमा बाशा के साथ हुई बातचीत को एक बार फिर से पेश किया है. इन सभी दिग्गजों ने पर्सनल फाइनेंस से जुड़े अपने अनुभव मनी9 के साथ साझा किए हैं और बताया कि वे किस तरह से अपने पैसों का ख्याल रखते हैं और आज के दौर में उन्होंने किस तरह से वित्तीय रूप से आजादी हासिल की है.
पेश हैं इस बातचीत के अंशः
महिलाओं के लिए आर्थिक आजादी
प्रीति राठी गुप्ता कहती हैं, “अपने आसपास नजर डालिए और देखिए कि कितनी महिलाएं निवेश कर रही हैं. आज भी बेहद कम महिलाएं ही निवेश के सफर में आगे बढ़ रही हैं. महिलाओं के अपने पैसों की देखरेख करने का तरीका बिलकुल अलग होता है. महिलाएं वित्तीय लक्ष्य के लिए पैसा सेव करती हैं. हम जोखिम से बचते नहीं हैं, जैसा कि माना जाता है.”
सैन्य सेवाओं से जुड़े लोगों के लिए
कर्नल गोविला कहते हैं, “ज्यादातर फोैजियों को फाइनेंशियल प्लानिंग की जरूरत तब महसूस होती है जब उनके बच्चे हो जाते हैं. उन्हें अपने बच्चों की जरूरतों को पूरा करना होता है. तब उन्हें लगता है कि उन्हें पहले ही वित्तीय योजना बनानी शुरू कर देनी चाहिए थी.”
वरुण मल्होत्रा कहते हैं, “सामान्य लोगों और सैनिकों के सामने दिक्कतें एक जैसी होती हैं. इनकी खराब बचत आदतें, वित्तीय रूप से निरक्षरता जैसी समस्याएं होती हैं. आर्मी से जुड़ा कोई भी शख्स 30,000 रुपये प्रतिमाह कमाता है, जिसमें 3,000 रुपये NPS में जाते हैं. अगर वे शुरुआती वर्षों में 2-3 लाख रुपये बचा लें तो 15% की कंपाउंडिंग के साथ वे करोड़पति बन सकते हैं.”
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