म्यूचुअल फंड मार्केट में रिस्क है जितना बाजार गिरेगा उतना ही आपका फंड गिरेगा इसी के साथ यदि मार्केट उठेगा तो आपको फंड भी बढ़ेगा. हमारे देश में मौजूदा समय में म्यूचुअल फंड इनफ्लो में इजाफा हुआ है. म्यूचुअल फंड्स में पैसा लगाना शुरू करने वाले कई इन्वेस्टर्स को इसमें मौजूद रिस्क के बारे में जानकारी ही नहीं होती है. मनी9 हेल्पलाइन में कंप्लीट सर्किल कंसल्टेंट्स के को-फाउंडर गुरमीत चड्ढा ने लोगों के म्यूचुअल फंड्स निवेश और इनमें शामिल रिस्क से संबंधित सवालों के जवाब दिए.
मैं कहूंगा कि आप दोनों फंड्स में बने रहें आप चाहें तो एक या दो और फंड्स भी जोड़ सकते हैं. ये फ्लेक्सी कैप या मल्टीकैप फंड हो सकते हैं. वहीं आप 10 या उससे अधिक साल के लिए निवेश करना चाहते हैं तो आप मिड या स्मॉलकैप भी इसमें शामिल कर सकते हैं. इससे आपको पोर्टफोलियो पूरा हो जाएगा और ये ज्यादा बड़े मार्केट को कवर करेगा.
आप 30 साल से ज्यादा समय के लिए निवेश करना चाहते हैं तो यह बेहतरीन शुरुआत है. सबसे पहले आपको ये देखना चाहिए कि फंड अल्फा देने में कितना रेगुलर है. यानी कि फंड बेंचमार्क के मुकाबले कैसा परफॉर्म कर रहा है. दूसरा, फंड में उतार-चढ़ाव नहीं होना चाहिए. शार्प रेशियो देखना चाहिए, इससे आपको ये आइडिया मिलता है कि आप अतिरिक्त रिटर्न के लिए कितना जोखिम ले सकते हैं. तीसरा, अपने पोर्टफोलियो का रिव्यू सावधानी से कीजिए. फंड को कम से कम तीन से चार साल दीजिए.
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