किसी भी कर्ज को ‘गुड लोन’ तभी माना जाएगा जब वह समय के साथ और असेट जनरेट करने में सक्षम हो और जिसका मूल्य समय के साथ कम न होता हो. एजुकेशन या होम लोन इसके अच्छे उदाहरण हैं. एजुकेशन लोन से आपको शिक्षित होकर आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलती है. वहीं, होम लोन टैक्स बेनिफिट देने के अलावा समय के साथ आपकी संपत्ति में भी इजाफा करता है.
ऐसा कर्ज, जिसे केवल लग्ज़री वस्तुओं की खरीदारी करने के लिए लिया गया हो, उसे ‘बैड लोन’ माना जाएगा. इसमें क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन और ऑटो लोन शामिल हो सकते हैं. इनमें ब्याज दरें काफी ज्यादा होती हैं. ऐसे लोन केवल वास्तविक जरूरत होने पर ही लेना चाहिए, नहीं तो रिपेमेंट न कर पाने की स्थिती में आपका क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है.
Money9 Helpline के हालिया एपिसोड में गुड और बैड लोन की पहचान करने के लिए चेकलिस्ट के बारे में जानकारी मांगी गई. इसका जवाब देते हुए मनी मंत्रा के विरल भट्ट कहते हैं, “आपको अपनी आर्थिक क्षमता को आंकने की जरूरत है. यह देखें कि कोई लोन आपकी आय और व्यय के अनुपात को किस तरह प्रभावित करता है. इसके साथ ही इंटरेस्ट रेट्स पर भी ध्यान दें. देखें कि लोन पर यह दरें कितनी हैं. उदाहरण के लिए, होम लोन की ब्याज दरें अपेक्षाकृत कम होती हैं जबकि क्रेडिट कार्ड पर ज्यादा होती हैं. तो यह देखें कि लोन लेना कितना किफायती है और आपको इसकी कितनी जरूरत है.”
मथुरा से आशीष गुप्ता पूछते हैं, “मेरी मंथली इनकम 50 हजार रुपये है और 15-20 हजार रुपये मेरा खर्च है. मैं कार खरीदना चाहता हूं, मुझे कितना लोन लेना चाहिए?” भट्ट सलाह देते हैं कि किसी भी व्यक्ति को कार लोन तभी लेना चाहिए जब कार लेना आवश्यक हो. वह कहते हैं कि कोई भी अपनी आमदनी का 30 से 40 फीसदी हिस्सा लोन लेने पर खर्च कर सकता है.