डायरेक्ट या रेगुलर म्यूचुअल फंड, आपके लिए कौन सा है सही?

Direct vs Regular MF: दोनों के बीच मुख्य अंतर एक्सपेंस रेशियो का है. यह सालाना मेंटेनेंस चार्ज है जो म्यूचुअल फंड अपने खर्चों की भरपाई के लिए लेते हैं


म्यूचुअल फंड में निवेश करने के दो तरीके हैं – डायरेक्ट और रेगुलर प्लान. दोनों के बीच मुख्य अंतर एक्सपेंस रेशियो का है. यानी, वह सालाना मेंटेनेंस चार्ज जो म्यूचुअल फंड कंपनियां अपने खर्चों की भरपाई के लिए लेती हैं.

डायरेक्ट प्लान के जरिए निवेश करने का मतलब होता है कि आप सीधे म्यूचुअल फंड या एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) से खरीद रहे हैं. वहीं, रेगुलर प्लान में आप एडवाइजर, ब्रोकर या डिस्ट्रिब्यूटर जैसे किसी बिचौलिये के जरिए खरीदारी करते हैं. इस तरह के प्लान में बिचौलियों को AMC कमीशन देती हैं. इसी रकम की भरपाई निवेशक से एक्सपेंस रेशियो के रूप में की जाती है.

रेगुलर प्लान से बड़े एक्सपेंस रेशियो और डिस्ट्रिब्यूटर फीस जुड़े होने की वजह से क्या निवेशक को डायरेक्ट प्लान में स्विच कर जाना चाहिए? इस तरह के सवालों के जवाब आप तक पहुंचाने के लिए रूंगटा सिक्योरिटीज के हर्षवर्धन रूंगटा से प्रियंका संभव ने मनी9 हेल्पलाइन में की.

Published - September 4, 2021, 06:21 IST