एक मध्यम वर्गीय भारतीय परिवार के लिए घर खरीदना जीवनभर की सबसे बड़ी उपलब्धि होती है. ऐसे में अगर आपको ये बताया जाए कि थायोकेयर (Thyrocare) के साथ सफलता की बुलंदिया छू चुके ए वेलुमणि का अपना कोई घर नहीं है तो शायद आप चौंके बिना नहीं रह पाएंगे.
आप भले ही इसे जानकार हैरान हों, लेकिन इससे पता चलता है कि वेलुमणि ने न सिर्फ हमारे समाज की पैदा की गई अजीबोगरीब मान्यताओं को तोड़ा है बल्कि वे अपने जीवन का आनंद भी उठा रहे हैं.
थायरोकेयर टेक्नोलॉजीज (Thyrocare Technologies) में अपनी 66 फीसदी हिस्सेदारी PharmEasy (फार्मईजी) की पेरेंट कंपनी API होल्डिंग्स को 4,546 करोड़ रुपये में बेचने के बाद वेलुमणि अभी भी समाज की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. वे आजीवन समाज के सामने मौजूद चुनौतियों को दूर करने के लिए काम करना चाहते हैं.
एक सामान्य परिवार में पले-बढ़े वेलुमणि ने मनी9 के साथ बातचीत में कई अहम राज खोले, इनमें घर न खरीदने के पीछे की वजह भी शामिल है.
मनी9 के साथ बातचीत में वे कहते हैं, “शादी होने के बाद भी मैं मुंबई में अभी भी एक PG में रहता था. मेरी पत्नी तब स्टेट बैंक में काम करती थी. ऐसे में जब हमारी दोनों की अच्छी सैलरी हो गई और सब लोग घर खरीदने लगे तब मैंने इस आइडिया के पक्ष में नहीं था. उस वक्त मुझे लगा कि EMI मुझे आर्थिक आजादी हासिल नहीं करने देगी. मैं देखता हूं कि लोग केवल दिखावे के लिए बड़े घर खरीदते हैं. लेकिन, मैंने इसकी कभी जरूरत महसूस नहीं की.”