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अगर आप जानना चाहते हैं कि इस दरियादिली के लिए सरकार के पास पैसा कहां से आते है तो पहुंच जाइए Professor Alok Puranik की बजट गुरुकुल में-
कभी चावल तो कभी गेहूं के निर्यात पर लग रहे प्रतिबंध से सुभाष मित्तल जैसे एक्सपोर्टर परेशान हैं.
निर्यात के लिए मिलने वाली सुविधाएं भी छोटे निर्यातकों तक नहीं पहुंचती. अपने अरमानों की चिट्ठी लिखकर सुभाष ने वित्त मंत्री को कई समस्याएं बताई.
विक्रम ने बेताल से पूछा है बहुत जरूरी सवाल. सवाल ये कि राज्यों का बजट जानना सुनना क्यों जरूरी है? और जवाब में बेताल ने क्या कहा?
बजट से पहले वित्त मंत्री बड़े व्यापारियों से मिलती है लेकिन बलराज मानते हैं कि छोटे व्यापारियों की बात उन तक नहीं पहुंचती.
सरकार ने बरसों पहले निवेश करके जो इकाइयां स्थापित की थीं अब उनमें से कई इकाइयों को बेच रही है. इस प्रक्रिया को विनिवेश यानी Disinvestment कहते हैं.
दिल्ली के सदर बाजार में गैस चूल्हे के कारोबारी बलराज खुराना की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को चिट्ठी.
रेली के एक स्वरोजगारी ने वित्त मंत्री को अपने अरमानों की चिट्ठी लिखी है जो दूसरों का तो छोड़िए बल्कि खुद का गुजारा जैसे-तैसे कर पा रहे हैं.
सरकार अपने खर्चों को पूरा करने के लिए कई तरह के टैक्स वसूलती है. इन करों से मिलने वाली रकम को रेवेन्यू कहते हैं.
कोरोना में कामधंधा चौपट होने से स्वरोजगारी अभी संभल नहीं पाए हैं. बरेली में सोने की अंगूठी बनाने का काम करने वाले सचिन पूंजी की कमी से जूझ रहे हैं.