पिछले डेढ दो सालों से कारोबारों की स्थिति सही नहीं है और रोजगार बाजार थर्राने लगा है. दिसंबर 2021 में बेरोजगारी दर 7.9 फीसद पर पहुंच गई.
अमेरिका और यूरोपीय देशों में यह महंगाई ही है, जो न केवल सरकारों के पसीने छुडा रही बल्कि बॉण्ड बाजार भी इसकी आहट से सहमा हुआ है.
देश में चुनाव का मौसम है. रोजगार हर घोषणा पत्र की वरीयता में लेकिन सवाल यह है कि पद खाली पड़े होने के बाद भी युवाओं को सरकारी नौकरी क्यों नहीं मिलती?
इस आखिरी एपिसोड के साथ 'ये जो बजट है' की विशेष श्रंखला समाप्त होती है. ये सीरीज आपको कैसी लगी कमेंट में जरूर बताएं.
कोरोना के काल में कुछ चला हो या ना चला हो, शेयर बाजार खूब चला. जयपुर के राधेश्याम ने बीते डेढ साल में खूब मुनाफा कूटा.
बजट बनाने की पूरी प्रक्रिया परंपरा और गोपनीयता से घिरी रहती है. हर साल जैसे ही बजट तैयार होना शुरू होता है, नॉर्थ ब्लॉक पूरी तरह से बंद हो जाता है. सभ
हम सूंघने निकले थे बजट और विजय चौक के पार्क में मिल गए विक्रम और बेताल. ये विक्रम नए जमाने के बहसबाज और बेताल पुराना घाघ. विक्रम सवाल दाग रहा था और बे
सरकार के 30 लाख करोड़ से ज्यादा के बजट में नरसिम्हा जैसों के लिए कुछ होगा? जानने के लिए देखिए ये वीडियो-