क्या भारत के पास पर्याप्त कच्चा तेल है? क्या भारत के पास पर्याप्त गैस है? क्या भारत के पास पर्याप्त ईंधन सुरक्षा है? जानने के लिए देखिए ये खास शो.
इंटरनेट इकोनॉमी के आर-पार.... भारत की इंटरनेट अर्थव्यवस्था में आखिर हो क्या रहा है? क्या कहते हैं आंकडे...?
इस साल की शुरुआत से अब तक अमेरिकी डॉलर करीब 15 फीसदी मजबूत हो चुका है. डॉलर की ये मजबूती किस पर किस तरह असर डालेगी?
अर्थव्यवस्था में हकीकत और उम्मीद के बीच, तथ्य और कहानियों के बीच, व्याख्याओं और आकलनों के बीच जोरदार रस्साकशी शुरु हो गई है. देखिए इकोनॉमिकम-
अगर युद्ध न होता तो शायद मंदी न आती और दुनिया में सस्ते कर्ज की वजह महंगाई होती भी तो इतनी मारक और व्यापक न होती.
भारत को इससे पहले तीन संकटों का तजुर्बा है, तीनों ही रुपए के अवमूल्यन या भुगतान संतुलन या डॉलरों की कमी पर केंद्रित थे.
सितंबर के दूसरे सप्ताह में जब दुनिया में भुखमरी और कुपोषण के आंकडे आये तो उसमें भारत की हाल अफगानिस्तान से खराब दिखी.
महंगाई मंदी युद्ध महामारी सबका इतिहास है लेकिन बनता अलग तरह से है. घटनायें एक जैसी होती हैं मगर ताने बाने अलग होते हैं. अब नया इतिहास बन रहा है.
मरी हुई महंगाई में किसने जान डाल दी? मंदी से ज्यादा बुरी क्यों होती है महंगाई वाली मंदी? मांग सिकोड़कर बुलानी मंदी थी और आ गई स्टैगफ्लेशन.
महंगाई ज्यादा बुरी या मंदी? यह बहस पूरी दुनिया में चल रही है. इसे समझने के लिए देखिए इस हफ्ते का इकोनॉमिकम...