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रसिक भाई अलग भन्नाए घूम रहे थे.वे घर से निकले और पड़ोसी के घर की घंटी बजा दी. अंदर से निकले कार्तिक. फिर क्या हुआ? जानने के लिए सुनिए 'मनी कॉमिक'.
रामू की टपरी पर बैठा गुल्लू अखबार पढ़ रहा है. चाय पीने वालों की भीड़ जुटी है. उधर से गुप्ता जी भी चले आए. गुल्लू को देखते ही गुप्ता जी ने लपक लिया.
गुनगुनी धूप में बैठी भगतिन बुआ खयालों में खोयी हुई थीं. तभी उनकी भतीजी सुरेखा चहकती हुई पहुंची. इसके बाद दोनों के बीच बीमा को लेकर क्या बातें हुईं?
खर्चे का परचा फूफा जैसे जैसे पढ़ रहे थे, वैसे-वैसे बढ़ रहा था बुआ का गुस्सा. आगे जानने के लिए देखिए इस हफ्ते का मनीकॉमिक.
रामू की टपरी पर भीड़ लगी थी. पता चला कि गुप्ता जी की किसी के साथ लड़ाई हो रही है. रामू और गुप्ता जी भी वहां पहुंच गए.
छुट्टी का दिन है. गुनगुनी धूप में बैठे रसिक भाई इंस्टाग्राम की रील्स का मजा ले रहे हैं. मोबाइल की स्क्रीन स्क्रॉल करते करते रसिक भाई अचानक थम गए.
इससे ज्यादा दुखी बुआ पहले कभी नहीं थीं. किसी काम में मन नहीं लग रहा. बार बार बस दरवाजा देखते बन रहा. फूफा अब आए कि अब आए.
बैंक आखिर किसके लिए होते हैं? क्या कर्ज लेने वालों के लिए या फिर उनके लिए जो अपनी गाढ़ी बचत की कमाई को बैंक में रखते हैं.
मनी कैफे में खिच खिच मची है. कार्तिक मैनेजर के साथ बहस कर रहा है. सब कैश काउंटर की तरफ देख रहे हैं.
चतुर चालाक गुप्ताजी को तगड़ी चपत लगी है. डिजिटल फ्रॉड के फंदे में गुप्ता जी ऐसे फंसे कि बैंक एकाउंट खाली हो गया.