लाल सागर में बढ़े तनाव की वजह से जनवरी के दौरान भारत में इंपोर्ट हुए कच्चे तेल में रूस के तेल की हिस्सेदारी घटी है. जनवरी के दौरान भारत में जितना तेल इंपोर्ट हुआ है उसमें रूसी तेल की हिस्सेदारी 25 फीसद दर्ज की गई है. इससे पहले दिसंबर के दौरान भारत में रूस से जितना कच्चा तेल इंपोर्ट हुआ था उसमें रूस के तेल की हिस्सेदारी 31 फीसद थी और पिछले साल मई में तो यह हिस्सेदारी रिकॉर्ड स्तर 44 फीसद पर पहुंच गई थी. एनर्जी कार्गो ट्रैकर वोर्टेक्सा के अनुसार, भारत ने जनवरी के दौरान रोजाना 12 लाख बैरल कच्चे तेल का इंपोर्ट हुआ है, जो दिसंबर की तुलना में 9% कम है.
जानकारों के मुताबिक लाल सागर तनाव के कारण माल ढुलाई की कीमतों में इजाफा हुआ है, साथ ही अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते भी इंपोर्ट में गिरावट आई है. जनवरी के दौरान भारत की सरकारी तेल कंपनियों के रूस से तेल के इंपोर्ट में 21 फीसद और निजी कंपनियों के इंपोर्ट में 10 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है. इसके अलावा रूसी कच्चे तेल की छूट में कमी की वजह से भारतीय तेल कंपनियों ने रूस से इंपोर्ट घटाया है.
जानकारों के मुताबिक लाल सागर में किए गए हमलों का उस मार्ग पर रूसी बैरल पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ा, लेकिन माल ढुलाई और बीमा दरें बढ़ गई हैं. कई जहाज परेशानी से बचने के लिए लंबा वैकल्पिक मार्ग अपना रहे हैं, जिसकी वजह से मूल्य में छूट कम हो गई है. सभी प्रमुख रूसी क्रूड ग्रेड 60 डॉलर प्रति बैरल कैप से ऊपर कारोबार कर रहे हैं, जिससे भारतीय रिफाइनर के लिए कार्गो लेना या उनके लिए भुगतान करना मुश्किल हो गया है.